जयपुर छोटे बच्चों को सार्वजनिक आयोजनों में इस्तेमाल करना अब भारी पड़ सकता है। क्योंकि राज्य बाल संरक्षण आयोग ने ऐसे किसी भी आयोजन में बच्चे को शामिल नहीं किए जाने का फरमान जारी किया है। आयोग ने ये फरमान शिक्षा विभाग को जारी किया गया है और इसे गंभीरता से फॉलो करने को भी कहा है। आयोग के निर्देश के अनुसार राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे एड्स, पोलियो, या निर्वाचन को छोड़कर अब किसी अन्य सार्वजनिक कार्यक्रम में 14 साल से कम उम्र के बच्चों को शामिल नहीं किया जाएगा। यदि ऐसा किया जाता है तो बच्चे के अधिकारों के हनन के साथ जोड़ते हुए इस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। आयोग ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्रीय कार्यक्रम में यदि बच्चों को शामिल किया जाता है तो इसके लिए बनाई गई विशेष गाइडलाइन की पालना करना जरुरी होगा। आयोग के इस फरमान को शिक्षकों ने भी सराहनीय कदम बताया है।
आयोग ने इन लगाई रोक— —मंत्री व नेताओं का स्वागत —फूल बरसाना व तिलक लगाना —किसी भी संगोष्ठी व शिविर में पंक्तिबद्ध होकर बैठाना —रैली में शामिल होना —स्वच्छता अभियान रैली
—मतदाता दिवस —नदी बचाव —नामांकन अभियान रैली राष्ट्रीय कार्यक्रम की गाइड लाइन— आयोग के मुताबिक यदि राष्ट्रीय कार्यक्रमों में बच्चों को शामिल भी किया जाता है तो उसके लिए विशेष गाइडलाइन्स बनाई गई है। जिनमें थोडी—थोडी दूरी पर बच्चों के लिए पानी की व्यवस्था करना, लेमन वॉटर, बच्चों को रैलियों में बडी तख्तियां नहीं पकड़ाना, तेज आवाज में नारेबाजी नहीं करवाना, धूम से बचाव, शौचालय की उचित व्यवस्था, खाने—पीने की सुविधा आदि शामिल है। इसकी पालना करना जरुरी होगा।
इनका कहना है— रैलियों और सार्वजनिक आयोजनों में बच्चों को ले जाने का कोई औचित्य नहीं है। इससे उनके स्वास्थ्य पर भी विपरित प्रभाव पड़ता है। इसे देखते हुए ही शिक्षा विभाग को निर्देश दिए गए है। इस तरह के समारोह में देखा गया कि बच्चों का इस्तेमाल सिर्फ एक्सपोजर के लिए किया जाता है। जो बच्चों के लिए न्याय संगत नहीं है। यदि निर्देश के बाद भी ऐसे किसी आयोजन में बच्चे शामिल होते है तो कार्रवाई की जाएगी।
मनन चतुर्वेदी, अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग बोले शिक्षक —आयोग का निर्देश सराहनीय कदम है। बड़ी उम्र के बच्चे जो ऐसे आयोजन की समझ रखते है। उन्हें शामिल करना तो ठीक है। इससे सामाजिक भागीदारी बढ़ेगी और समाज में चेतना आएगी। लेकिन छोटे बच्चों को शामिल करने पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए।
विपिन प्रकाश शर्मा, शिक्षक —————————————— —कई बार सार्वजनिक आयोजनों में डिसएबल बच्चों की भीड़ जुटाई जाती है। सौ प्रतिशत विकलांगता वाले बच्चे भी अपने माता—पिता के साथ आते है। ये सरासर गलत है। आयोग की यह सख्ती बच्चों को सुरक्षा देगी।
मनोज पूनियां, शिक्षक