दरअसल, कोरोना पर चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा के वक्तव्य के बाद विपक्ष की ओर से पूर्व चिकित्सा मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ विधायक कालीचरण सराफ ने सरकार पर कई तीखे वार किए। कोरोनाकाल के दौरान सरकार की कार्यशैली को कटघरे में रखते हुए उन्होंने राजनीतिक भेदभाव से काम करने के आरोप लगाए। सराफ ने कहा कि कोरोना के संकटकाल में भी प्रदेश में कई जगहों पर हुई राशन वितरण व्यवस्था का कांग्रेसीकरण देखा गया। नगर निगम के अधिकारियों से मिलीभगत करके काम किया गया है। यही नहीं जिन अधिकारियों ने इमानदारी से काम किया उन्हें सरकार ने हटा दिया।
सराफ के आरोप के बाद सत्तापक्ष के विधायकों ने एतराज़ जताया। सत्तापक्ष की ओर से मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, प्रताप सिंह खाचरियावास ने मोर्चा संभाल लिया। मंत्री समेत कांग्रेस विधायकों ने विपक्ष के आरोपों का विरोध जताया। इस दौरान गुलाब चंद कटारिया और राजेन्द्र राठौड़ की प्रताप सिंह खाचरियावास से तीखी बहस हुई। हंगामे और शोर-शराबे के बाद सभापति महेन्द्र जीत सिंह और बाद में राजेन्द्र पारीक ने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया। बाद में दो बजे से कार्यवाही सुचारू रूप से चली।