गहलोत ने मीडिया में बयान जारी कर कहा कि जब केन्द्र सरकार ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के लिए 21 जून से वैक्सीनेशन का ऐलान किया तब केन्द्र सरकार ने राज्यों को भरोसा दिया था कि वैक्सीन की कमी नहीं आने दी जाएगी , लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। राजस्थान को आवश्यकतानुसार वैक्सीन नहीं मिल रही है , जिसके कारण बार-बार वैक्सीनेशन का काम रोकना पड़ रहा है।
इससे आमजन में आक्रोश फैल रहा है। प्रदेश में अभी तक लगभग 2 करोड़ 44 लाख वैक्सीन लगाई जा चुकी है और प्रतिदिन 15 लाख वैक्सीन लगाने की क्षमता है। अगर केन्द्र सरकार समय पर उचित मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध करवाए तो हम समय रहते प्रदेशवासियों को वैक्सीन लगा सकते हैं , जिससे तीसरी लहर का खतरा खतरा समाप्त हो सकता है।
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक अशोक गहलोत ने 26 जून को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राजस्थान की वैक्सीन आपूर्ति बढ़ाने की मांग की थी। गहलोत ने बताया कि प्रदेश में 2 करोड़ 5 लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। इनमें से करीब 75 लाख लोगों की दूसरी डोज जुलाई महीने में लगाई जानी है , लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से पूरे जुलाई महीने में अभी तक सिर्फ 65 लाख वैक्सीन डोज का ही आवंटन किया गया है। इनमें से भी 16 लाख डोजेज निजी अस्पतालों को आवंटित की जाएंगी।
यदि समय रहते राजस्थान को अधिक वैक्सीन की आपूर्ति नहीं हुई तो पहली डोज लगाने का काम रोकना पड़ेगा और बड़ी संख्या में लोगों को दूसरी डोज भी समय पर नहीं लग सकेगी। गहलोत ने बताया कि वैक्सीनेशन की शुरुआत से ही राजस्थान अव्वल रहा। यही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में लोगों की दूसरी डोज लगना बाकी है। गहलोत ने मांग की है कि केन्द्र सरकार को अविलंब राजस्थान को 1.50 करोड़ वैक्सीन भेजनी चाहिए।
वैक्सीन लगाकर रिकॉर्ड बनाने का भ्रम फैलाया
गहलोत ने कहा कि कुछ राज्यों ने वैक्सीनेशन महाअभियान कार्यक्रम को ध्यान में रखकर 21 जून के से पहले वाले सप्ताह में जानबूझकर सिर्फ कुछ हजार लोगों को ही वैक्सीन लगाई और वैक्सीन का स्टॉक बचाकर रखा। अब इन राज्यों में रोज लाखों वैक्सीन लगाकर रिकॉर्ड बनाने का भ्रम फैलाया जा रहा है।
जैसे मध्य प्रदेश ने 18 जून को 15 हजार, 19 जून को 22 हजार, 20 जून को 692 वैक्सीन ही लगाई लेकिन 21 जून को 16 लाख वैक्सीन लगा दीं। यह लोगों के जीवन को बचाने का अभियान है जिसमें किसी दिखावे की आवश्यकता नहीं है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को वैक्सीन के वितरण में पारदर्शिता रखनी चाहिए और राज्यों को सप्लाई की जा रही वैक्सीन की जानकारी भी सार्वजनिक करनी चाहिए , जिससे पता चल सके कि किस राज्य को कितनी संख्या में वैक्सीन दी जा रही है।