जयपुर में शहर से सटे गांवों में मटर व टमाटर की खेती बड़ी मात्रा में की जा रही है। ठंड से टमाटर के पौधों का विकास रुक गया। पत्तों की हालत ऐसी हो गई जैसे जल गए हों। चौमू के जोधपुरा निवासी किशोर कुमार ने बताया कि इस बार हमारे क्षेत्र में टमाटर की बम्पर फसल थी। गत सप्ताह लगातार पड़ी ठंड से फसल चौपट हो गई। जब फसल शुरू हुई तो मंडी में पांच छह रुपए किलो टमाटर बिके। अब फसल चौपट हो गई तो भाव पंद्रह रुपए तक पहुंच गए हैं। टमाटर के साथ ही मटर की खेती को भी भारी नुकसान हुआ है। मटर की फली ठंड से सफेद हो गई। फली का विकास रुकने से किसान परेशान हैं।
महला के पास क्षेत्र में मटर की खेती बड़े स्तर पर होती है। इस बार ठंड से फसल चौपट हो गई। यही हाल शाहपुरा व आस-पास के क्षेत्र में है। यहां भी मटर की खेती प्रभावित हुई है। सवाई माधोपुर में मिर्च की खेती को नुकसान हुआ है। यहां टमाटर की खेती में भी नुकसान की रिपोर्ट है।
ठंड का दूसरा प्रहार पड़ सकता है भारी
वर्तमान में मुख्य रूप से गेंहू, सरसों, चना, जौ, जीरा, इसबगोल, मैथी, धनिया प्रदेश के खेतों में बोया गया है। गेंहू व चने में में नुकसान की रिपोर्ट नहीं है। सरसों में भरतपुर व आसपास के कुछ और क्षेत्र में नुकसान की रिपोर्ट है। यह नुकसान सरसों की उन फसल में है जो समय (अगेती) से पहले बोई गई थी। तापमान जब शून्य के करीब पहुंचता है तो फसल का विकास प्रभावित होता है। खास तौर से फली में बीज के विकसित होने वाले समय पर इसका अधिक प्रभाव पड़ा है।
ये बताए उपाय…
मौसम की बेरुखी से नुकसान से जहां फसलें चौपट हो गई और कुछ बची फसलों को बचाने के लिए कृषि विभाग के जिम्मेदार खेतों में किसानों को बचाव के तरीके बता रहे हैं। किसानों को पाले और ठंड से फसलों को बचाने के लिए गंधक के तेजाब का 0.1 का स्प्रे, खेतों के चारों तरफ धुंआ करके, सिंचाई करके नमी बनाए रखकर फसलों को बचा सकते हैं।