जमीनी कामकाज में भी फिसड्डी
कांग्रेस के जानकार सूत्रों की माने तो प्रकोष्ठों और विभागों को सक्रिय करने के लिए कई बार बैठकें भी हो चुकी हैं और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रत्येक विधानसभा सीट पर इन प्रकोष्ठों और विभागों को बूथ लेवल तक की कमेटियों के गठन करने के निर्देश दिए थे, लेकिन प्रदेश नेतृत्व और प्रदेश प्रभारी के आदेशों का भी इन पर कोई असर नहीं हुआ है। न तो बूथ कमेटियां बन पाई और न ही जमीनी स्तर पर इन पर प्रकोष्ठों की ओर से कोई कामकाज हो रहा है।
जानकार सूत्रों की माने तो कांग्रेस के कई विभाग तो ऐसे हैं, जिनमें विभागों के प्रमुख सात-सात साल से पदों पर बने हुए हैं। इनमें दो विभागों के प्रमुख तो पीसीसी में दोहरी भूमिका भी निभा रहे हैं। वहीं एक विभाग के प्रमुख एआईसीसी में दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। इन विभागों के ढूलमूल रवैये से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट भी खासे नाराज हैं, चाहते हैं भी कि इन विभागों में बदलाव हो लेकिन उनके सामने मजबूरी ये है कि वो चाहकर भी इन विभागों में बदलाव नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इन विभागों में नियुक्तियां सीधे दिल्ली से होना बताया जाता है।
पार्टी के जानकार सूत्रों की माने तो इसी माह दिल्ली में होने वाले पार्टी के अधिवेशन के बाद कांग्रेस में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। ऐसे में यहां भी निष्क्रिय पड़े प्रकोष्ठों और विभागों को सक्रिय करने के लिए इनमें बदलाव देखने को मिल सकता है।
वहीं दूसरी ओर प्रकोष्ठों से जुड़े पदाधिकारियों की अपनी व्यथा है कि पीसीसी में सभी प्रकोष्ठों के लिए एक ही कमरा अलॉट है, जहां बैठने के लिए कुर्सियां तक नहीं मिल पाती हैं, जिससे प्रकोष्ठों के पदाधिकारी इधर-उधर घूमकर ही समय बिताते हैं, ऐसे में वे अपनी सक्रियता कहां दिखाएं।
ये विभाग और प्रकोष्ठ हैं निष्क्रिय
कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग, कांग्रेस ओबीसी प्रकोष्ठ, अजा जजा प्रकोष्ठ, कच्ची बस्ती प्रकोष्ठ, किसान खेतीहर मजदूर कांग्रेस, विचार विभाग, विधि विभाग, कांग्रेस शिक्षक प्रकोष्ठ, विशेष पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ, सहकारिता प्रकोष्ठ, उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ, पर्यावरण संरक्षण प्रकोष्ठ, खेलकूद प्रकोष्ठ, घूमंतु अर्ध घूमंतु प्रकोष्ठ हैं।
इनका कहना है
समय-समय पर प्रकोष्ठों के कामकाज का अवलोकन करते रहते हैं, फिर भी देखेंगे कौनसे प्रकोष्ठ सक्रिय नहीं है।
– विवेक बंसल, प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय सचिव कांग्रेस