मुख्य अभियुक्त मोहनलाल के फ्लैट से 7.97 लाख रुपए कैश मिले कांस्टेबल भर्ती के प्रश्न पत्र को परीक्षा से पूर्व झोटवाड़ा के एक केंद्र से निकाल कर वायरल कर देने वाले मुख्य अभियुक्त मोहनलाल को एसओजी ने चिह्नित कर लिया है। एसओजी ने उसके झोटवाड़ा स्थित फ्लैट पर दबिश दी। घर की तलाशी में 7.97 लाख रुपए बरामद हुए हैं। मामले में अब तक गिरफ्तार 8 आरोपियों को बुधवार को कोर्ट में पेश किया जहां से तीन दिन का रिमांड पुलिस को मिला है। आरोपी वीक्षक मोहनलाल दांतारामगढ़ निवासी बताया जा रहा है जो झोटवाड़ा में रह रहा था। मोहनलाल ने ये फ्लैट जीतेंद्र चौधरी के नाम से लिया था। उसके फ्लैट में एक महिला मिली जो उसकी पत्नी बताई जा रही है उससे एसओजी ने पूछताछ की है। एसओजी को मोहनलाल का सुराग नहीं लगा है।
आरोपी वीक्षक के सामने आ रहे कई नाम वीक्षक की पहचान करने में एसओजी को खासी मशक्कत करनी पड़ी है। दिवाकर स्कूल में जहां वीक्षक का नाम मोहनलाल था। वहीं एसओजी ने जिस फ्लैट पर छापा मारा है वहां पर वह जीतेंद्र चौधरी के नाम से रहता था। इसके अलावा उसका नाम छोटू, हरी सहित अन्य नाम भी बताए जा रहे हैं।
पहले भी की है भवन गिराने से जैसी बड़ी कार्रवाई इसी वर्ष एक फरवरी को रीट पेपर लीक मामले में रामकृपाल मीणा के स्कूल पर जेडीए ने कार्रवाई की थी। गोपालपुरा स्थित जगन्नाथपुरी में एसएस पब्लिक स्कूल और कॉलेज की इमारत को ढहा दिया था। हालांकि, यह इमारत सरकारी जमीन पर बनी थी।
एसओजी ने दो युवकों को पकड़ा एसओजी ने मसूदा के हरराजपुरा निवासी शाहरुख और बेगलियावास निवासी मुकेश जाट को भी संदेह के आधार पर पकड़ा है। सूत्रों से पता चला है कि पेपर लीक प्रकरण में जिस मोबाइल सिम का इस्तेमाल किया गया, उसका इनसे संबंध है। शाहरूख मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनी में कार्यरत है। पूछताछ के बाद ही एसओजी अधिक जानकारी दे सकेगी।
कानून में 10 साल तक की सजा का प्रावधान पेपर लीक के प्रकरणों पर रोक के लिए बनाए नए कानून में 10 साल तक कारावास की सजा और 10 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। अपराध से अर्जित सम्पत्ति को जब्त करने और उसे सार्वजनिक हित में उपयोग करने का प्रावधान किया है। मैनेजमेंट या संस्था के अपराध करने पर संस्था को हमेशा के लिए प्रतिबंधित किया जा सकेगा। साथ दोषी पाए जाने पर परीक्षा में हुए खर्चे की भरपाई संस्था या प्रबंधन की सम्पत्ति को नीलाम कर की जा सकेगी।
स्कूल के संचालक ने रखा था वीक्षक मोहनलाल को वीक्षक के रूप में स्कूल संचालक मुकेश ने परीक्षा से दो दिन पहले ही बुलाया था। यह भी पता नहीं किया गया कि वह वीक्षक लायक है या नहीं। इसी के साथ पेपर लीक की जानकारी के बाद भी वेरिफिकेशन नहीं किया गया।
सेंटर चयन करने में भी आई गड़बड़ी सेंटर चयन करने में भी गड़बड़ी सामने आई है। सेंटर के स्ट्रांग रूम में पहुंचने के दो गेट थे। एक गेट पर ताला था और वहां पर निगरानी रखी जाती थी, लेकिन पिछले गेट पर कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं थे।
प्रभारी को हटा एडीसीपी को सौंपा था जिम्मा दिवाकर पब्लिक स्कूल से कांस्टेबल पेपर लीक होने सूचना पुलिस को 14 मई को दोपहर में 1.45 बजे मिल गई थी। पुलिस के सामने 15 व 16 मई को चार पारियों की परीक्षा कराना चुनौती था। पुलिस ने तत्काल सेंटर प्रभारी पुलिस निरीक्षक राजेन्द्र प्रसाद को हटा दिया था और सेंटर की जिम्मेदारी एडिशनल डीसीपी राजेन्द्र सिंह सिसोदिया को दी थी।