क्षेत्र में डिस्कॉम के कनिष्ठ या सहायक अभियंताओं के कार्यालय नहीं होने के कारण उन्हें हर परेशानी के लिए फतेहगढ़ या फिर जैसलमेर का रुख करना पड़ता है। वहीं क्षेत्र के उपभोक्ताओं को बिजली बिल, ट्रांसफार्मर, कृषि ट्रांसफार्मर में लगे मीटर बदलवाना हो या फिर नया लेना हो उन्हें फतेहगढ़ से जैसलमेर तक के चक्कर पर चक्कर लगाने पड़ते हैं। विभाग की विद्युत बिल वितरण व्यवस्था भी पटरी से उतरी हुई नजर आ रही है। उपभोक्ताओं को बिल नहीं मिलना तो आम बात है, लेकिन जिन्हें बिल मिलते हैं उनमें बेहिसाब त्रुटियां होती हैं। उपभोक्ताओं का आरोप है कि मीटर रीडिंग लिए बिना बिल भेजे जा रहे हैं।
ग्रामीण उपभोक्ता मीटर रीडिंग को लेकर सवाल उठा रहे हैं। कई उपभोक्ताओं ने बताया कि बिल में मीटर रीडिंग कार्यालयों में बैठकर भरी जा जाती है। इसका खामियाजा सही रीडिंग लेने के समय उपभोक्ता को भुगतना पड़ता है। स्लैब प्रणाली में रीडिंग के हिसाब से प्रति यूनिट दर बढ़ जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि बिना कनेक्शन के भी विद्युत बिल थमाए जा रहे हैं। इसी तरह, दुकानदार बताते हैं कि मीटर में रीडिंग कम है, लेकिन बिल में रीडिंग ज्यादा आती है। लाइनमैन से लिखवाकर फतेहगढ़ कार्यालय के चक्कर लगवाने पड़ रहे हैं तब जाकर बिल भरे जाते हैं। बहरहाल, देखना होगा कि आखिर डिस्कॉम अपने उपभोक्ताओं की इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए क्या कदम उठाता है।