अब सहकारिता विभाग ने घर खरीदने का सपना देख रहे लोगों के लिए एक नसीहत जारी की है। इसके मुताबिक सोसायटी से प्लाट खरीदने से पहले खरीददार को इस बात की पूरी पड़ताल करनी होगी कि उसका पंजीयन सहकारिता के तहत है या नहीं। साथ ही जिन पदाधिकारियों ने आवासीय पट्टा जारी किया है, उनके नाम हस्ताक्षर समिति के पंजीयन में मौजूद जानकारी से मिलते हैं या फिर नहीं।
106 समितियों का पंजीयन निरस्त
रजिस्ट्रार, सहकारिता डाॅ. नीरज के. पवन का कहना है कि लोग गृह निर्माण सहकारी समितियों की सृजित आवासीय योजनाओं में भूखण्ड का लेन-देन करते समय संबंधित समिति का पंजीयन को जांच कर ही प्रक्रिया को पूरी करें। उन्होंने बताया कि जयपुर शहर की अनियमितताओं वाली 106 गृह निर्माण सहकारी समितियों का पंजीयन निरस्त किया जा चुका है।
समितियों ने की गड़बड़ियां
रजिस्ट्रार डाॅ. पवन ने बताया कि जयपुर शहर में 106 गृह निर्माण सहकारी समितियों ने विभिन्न आवासीय योजनाओं का सृजन किया गया था, लेकिन इन समितियों ने आमजन के साथ धोखाधडी करने, समय पर आॅडिट नहीं कराने, नियमों के विरूद्ध योजनाओं का सृजन करने, रिकार्ड एवं दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने जैसी अनियमितताओं के कारण पूर्व में ही इनका पंजीयन रद्द किया जा चुका है।
खरीदने से पहले करें पड़ताल
रजिस्ट्रार सहकारिता डॉ नीरज कुमार पवन का कहना है कि लोग ऐसी समितियों से भूखण्ड का लेन-देन नहीं करें और यदि कोई भी व्यक्ति ऐसा करता है तो उसके साथ होने वाली किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की जिम्मेदारी स्वयं की होगी। उन्होंने कहा कि जयपुर में आवास की व्यवस्था करने से पूर्व सहकारी समिति ने सृजित योजना के दस्तावेजों पर अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता पदाधिकारियों की जानकारी मिनी सचिवालय स्थित कार्यालय उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां जयपुर (शहर) से प्राप्त कर लें, ताकि धोखाधड़ी की संभावना से बचा जा सके।