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जयपुर

कोरोना की सीख गए भूल, स्वास्थ्य तंत्र सुधार 2025 गोल भी दिख रहा कमजोर

क्योंकि…फोकस सिर्फ तीसरी लहर पर, समग्र विकास की जरूरतें पूरी करने में बजट का अडंगा सबसे बड़ी जरूरत..मेन पॉवर उपलब्धता ही पूरी नहीं, प्रदेश में मौजूद मेन पॉवर का 70 प्रतिशत निजी क्षेत्र में
कोरोना काल में चिकित्सा पर फोकस का सरकारी दावा हवा..मरीजों की जरूरत पर वित्त विभाग की मंजूरी पड़ रही भारी

जयपुरOct 03, 2021 / 12:52 am

Vikas Jain

Hospital: आखिर सिविल सर्जन को क्यों करना पड़ा रिलीव..जानिए

Hospital: आखिर सिविल सर्जन को क्यों करना पड़ा रिलीव..जानिए

विकास जैन

जयपुर. कोरोना काल में सामने आई विकटता के बीच राज्य सरकार की ओर से स्वास्थ्य तंत्र सुधार पर फोकस का दावा सिर्फ तीसरी लहर की तैयारियों तक ही सीमित रह गया है। सरकार की मौजूदा तैयारियां प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सभी बीमारियों के लिहाज से पर्याप्त मेन पॉवर, संसाधनों की उपलब्धता स्थायी तौर पर बढ़ाने के बजाय नई लहर से निपटने तक ही दिखाई दे रही है। हालात यह है कि अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सेज सहित अन्य संवर्गों की जरूरत होने के बावजूद अनुमति के लिए वित्त विभाग की रोक टोक जारी है।
स्थिति यह है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, नर्सेज, लैब टेक्नीशियन सहित अन्य आवश्यक संवर्गों के सैंकड़ों और हजारों पद रिक्त होने के बावजूद प्रदेश में उपलब्ध समस्त चिकित्सा संसाधनों का 70 प्रतिशत अब भी निजी क्षेत्र में ही है। जबकि प्रदेश के करीब डेढ़ करोड़ मरीज हर साल सरकारी अस्प्तालों की सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। पत्रिका ने सरकार के विजन की पड़ताल की तो सामने आया कि खुद चिकित्सा विभाग ने प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र में सुधार के लिए विजन 2025 भी तय किया हुआ है। लेकिन उनकी भी पूर्ति तय समय तक होती नजर नहीं आ रही है। राहत सिर्फ नए मेडिकल कॉलेजों से है, जो आगामी सालों में शुरू होंगे। जिनकी भी तैयारी कोरोना काल से पहले ही शुरू कर दी गई थी।
2025 विजन के मुख्य बिंदू, जिन पर नजर नहीं आ रहा काम

. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से कुशल डॉक्टरों की पर्याप्त संख्या
स्थिति — यह विजन पूरा होना गांवों लिए तो दूर, शहरों में भी अभी पूरा नहीं
. जिला अस्पतालों को नर्सिंग और पैरामेडिकल प्रशिक्षण के साथ मेडिकल कॉलेजों में विकसित करना
स्थिति — मेडिकल कॉलेजों की तैयारी, मगर नर्सिंग कॉलेजों की गति धीमी

. राज्य स्वास्थ्य प्रणाली के प्रशिक्षण, अनुसंधान और रेफरल केंद्रों के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित करना।
स्थिति — धरातल पर तैयार नहीं
राजस्थान का सरकारी चिकित्सा तंत्र

35 जिला अस्पताल
5 सेटेलाइट अस्पताल
19 उप जिला अस्पताल
571 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र
2080 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
14 हजार से अधिक सब सेंटर
195 सिटी डिस्पेंसरी
249 ब्लॉक
50 हाई फोकस ब्लॉक
1600 से अधिक चिन्हित डिलीवरी प्वाइंट
निजी में अधिक मेन पॉवर के कारण

निजी अस्पतालों में चिकित्सा के करीब करीब सभी संवर्गों को सरकारी से अधिक वेतन और सुविधाएं दी जाती हैं
अधिक वेतन व सुविधाओं के बावजूद निजी अस्पतालों में मरीजों का दबाव कम रहता है
फैक्ट फाइल
43 हजार पंजीकृत डॉक्टर
1700 है प्रदेश में डॉक्टर जनसंख्या अनुपात
9 हजार डॉक्टर ही कार्यरत
11 हजार डॉक्टरों के पद स्वीकृत
2 हजार पद रिक्त डॉक्टरों के
34 हजार डॉक्टर निजी क्षेत्र में दे रहे सेवाएं
ऐसी स्थितियां सरकार के सामने…

विश्व स्वास्थ्य संगठन का तय मानक 1 हजार आबादी पर 1 डॉक्टर, हमारे सरकारी अस्पतालों में 8 हजार पर एक
निजी और सरकारी क्षेत्र का डॉक्टर—जनसंख्या कुल अनुपात 1700 लोगों पर एक, जो देश के अनुपात से 10 गुना अच्छा
सरकारी अस्प्तालों में करीब 50 हजार नर्सिंग कर्मी, निजी में यह संख्या करीब एक लाख से अधिक
राहत की बड़ी उम्मीद..

सभी जिलों में खुलने वाले नए मेडिकल कॉलेज
स्वास्थ्य का अधिकार कानून

……

कोई भी भर्ती होती है तो वह पूरी प्रक्रिया और हर स्तर पर मंजूरी के बाद होती है। सरकारी भर्ती की यही प्रक्रिया है। हमारी सरकार ने चिकित्सा विभाग की भर्तियों के लिए अभूतपूर्व स्वीकृतियां दी हैं। सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू होंगे, स्वास्थ्य का अधिकार कानून लाएंगे, चिरंजीवी योजना और जनता क्लीनिक जैसी बड़ी योजनाएं हमने दी हैं।
रघु शर्मा, चिकित्सा मंत्री

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