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कोरोना का असर: पशुओं के व्यवहार में बदलाव

चिड़चिड़े हो रहे पशु, वन्यजीव हुए स्वचछंदहाईकोर्ट ने भी मांगा जवाब

जयपुरApr 01, 2020 / 01:15 pm

Rakhi Hajela

कोरोना का असर: पशुओं के व्यवहार में बदलाव

कोरोना का असर: पशुओं के व्यवहार में बदलाव

जयपुर। पूरे देश में चल रहे लॉक डाउन का असर देखने को मिल रहा है। इस लॉकडाउन का असर केवल इंसानों पर ही नहीं पड़ा बल्कि पशुओं पर भी पड़ा है। लॉकडाउन के चलते पशुओं के व्यवहार में बदलाव देखने को मिल रहा है। वहीं भीड़भाड़ नहीं होने के कारण बायोपार्क में रह रहे वन्यजीव भी प्राकृतिक वातावरण में खुद को स्वच्छंद महसूस कर रहे हैं। बायापार्क में लोगों की आवाजाही नहीं होने के कारण बायोपार्क और चिडि़याघर में आमतौर पर पिंजरे में रहने वाले वन्यजीव अब खुले में घूम रहे हैं, लेकिन समय पर भोजन नहीं मिलने के कारण श्वानों के व्यवहार में उग्रता आ रही है। हालांकि राजधानी जयपुर सहित विभिन्न शहरों में इन मूक पशुओं के लिए भोजन की व्यवस्था हो रही हैं। न केवल पुलिस प्रशासन बल्कि कई स्वयंसेवी संस्थाएं इनकी मदद के लिए आगे आई हैं और उन्हें खाने के लिए भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है। आपको बता दें कि लॉक डाउन का बहुत व्यापक असर आम जनजीवन पर पड़ा है और इसके साथ ही लोगों पर आश्रित रहने वाले बहुत से पशु भी इससे प्रभावित हुए हैं। आमतौर पर सामान्य स्थिति में बाजारों के खुलने से इन पशुओं को नियमित रूप से भोजन मिल जाया करता था, लेकिन अब जबकि बाजार नहीं खुल रहे हैं ऐसे में इन पशुओं को भोजन के लिए बेहद विकट परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है। इनका व्यवहार हिंसक हो रहा है। पशु प्रेमियों को यह बात चिंतित कर रही है। इस परिस्थिति को देखते हुए कुछ लोग अपने घरों के सामने पशुओं के लिए भोजन की भी व्यवस्था कर रहे हैं।
जंगल जैसा मिल रहा वातावरण
अगर हम बायो पार्क और चिडि़याघर में रहने वाले वन्यजीवों की बात करें तो लॉक डाउन के कारण वहां सन्नाटा है। इससे सभी वन्यजीव मस्ती कर रहे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक यहां उन्हें जंगल जैसा वातावरण मिल रहा है। आम दिनों में जब पर्यटक आते थे तो वन्यजीव अपने पिंजरों में रहा करते थे लेकिन अब एेसा नहीं है। आपको बता दें कि वन्यजीव व्यवहार में बेहद शर्मीले होते हैं और प्रकृति के करीब होते हैं। लिहाजा लॉकडाउन में सभी मस्ती कर रहे हैं। बायोपार्क की बात करें तो वहां भी जब कर्मचारी वन्यजीवों के पास उनका भोजन लेकर जाते हैं तो वह चौकन्ने हो जाते हैं।
पशुओं में बढ़ती है प्रतिस्पद्र्धा की भावना
पशु चिकित्सकों का कहना है कि समय पर भोजन नहीं मिलने पर न केवल श्वान बल्कि अन्य पशुओं में आपसी प्रतिस्पद्र्धा की भावना बढ़ जाती है। उन्हें जहां भी थोड़ा सा भी भोजन मिलेगा वह उस पर टूट पड़ेगे। हालांकि, भोजन के लिए उनके इंसानों पर हमला करने की आशंका कम है, क्योंकि आम तौर पर श्वानों की प्रवृत्ति ऐसी होती है कि भोजन नहीं मिलने पर वे एक जगह पड़े.पड़े दम तोड़ देते हैं। जो लोग नियमित रूप से श्वानों को भोजन कराते हैं, श्वान हर रोज उसी समय उनका इंतजतार करते हैं। उन लोगों के नहीं आने से उनमें बेचैनी बढ़ सकती है।
आपको बता दें कि कोरोना वायरस के कारण लोग लॉकडाउन के कारण लोगों के घरों से नहीं निकलने से पशु पक्षियों को भोजन की किल्लत हो गई।
हाईकोर्ट ने मांग जवाब
आपको बता दें कि राजधानी जयपुर में भी लॉकडाउन के कारण पशु पक्षियों के लिए खाने की समस्या पैदा हो गई। नगर निगम ने इन पशु पक्षियों के लिए भोजन पानी आदि की व्यवस्था की है। इसके साथ ही पुलिस और अन्य कई स्वयंसेवी संस्थाएं भी इनकी मदद कर रही हैं। वहीं हाईकोर्ट ने भी पशुपालन विभाग और नगर निगम को इस संबंध में नोटिस जारी किया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ७ अप्रेल तक जवाब मांगा है। याचिका कर्ताओं का कहना है कि लॉक डाउन के दौरान पशु पक्षियों के लिए दाना,खाना और पानी की उचित व्यवस्था नहीं है।

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