यह जानकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने दी। उन्होंने एंटीजन टेस्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार से एंटीजन किट की लगातार मांग कर ही है, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक उपलब्ध नहीं कराए हैं। एक निजी अस्पताल से 200 किट मंगवाकर की गई, जांच में 50 फीसद किट मानकों पर खरे नहीं उतरे एवं पॉजीटिव को नेगेटिव बता रहे हैं। शेष 50 फीसद किट से जांच करवाकर इन किट्स की विश्वसनीयता की सही स्थिति पता चल सकेगा। वस्तुस्थिति से आईसीएमआर को अवगत कराया जाएगा।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि जब देश में प्रतिदिन 55 हजार से ज्यादा पॉजीटिव केसेज आ रहे हो, ऐसे में मरीजों पर प्रायोगिक परीक्षण करना उनका जीवन खतरे में डालने जैसा है। विदेशी कंपनियों के कम विश्वसनीय टेस्ट को मंजूरी देकर केंद्र सरकार लोगों के जीवन को खतरे में डाल रही है। इससे पूर्व भी आईसीएमआर ने मान्यता प्राप्त रैपिड टेस्टिंग किट के नतीजों को लेकर राजस्थान सरकार ने सवाल उठाए थे और आईसीएमआर ने उन्हें सही मानकर देशभर में रैपिड टेस्टिंग किट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
डॉ. शर्मा ने बताया कि प्रदेश में अब तक 115 लोगों को प्लाज्मा थेरेपी दी जा चुकी है। इसका शतप्रतिशत परिणाम रहा है। जयपुर, जोधपुर, कोटा के बाद उदयपुर और बीकानेर में भी प्लाज्मा थेरेपी के जरिए लोगों को जीवनदान दिया जा रहा है। अजमेर में भी शीघ्र ही प्लाज्मा थेरेपी से इलाज मिलने लगेगा। जयपुर के बाद हाल ही कोटा में भी प्लाज्मा बैंक की शुरुआत कर दी गई है। जल्द ही सभी पुराने मेडिकल कॉलेजों में भी प्लाज्मा बैंक खोले जाएंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को राहत मिल सके।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 40 हजार की लागत के जीवनरक्षक इंजेक्शन ‘टोसिलीजूमेब व रेमडीसीविरÓ भी आमजन को मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल के जरिए निशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अब तक 176 लोगों को ये इंजेक्शन दिए जा चुके हैं, जिनका परिणाम भी सुखद रहा है। मरीजों के इलाज के लिए बजट की कोई कमी नहीं है।
उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जिला कलेक्टर्स को ज्यादा कोरोना पॉजीटिव्स आने की स्थिति में स्थानीय लॉकडाउन और रात्रि कफ्र्यू लगाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। ज्यादा केसेज आने पर मरीजों को होम क्वारंटीन करवाने के निर्देश भी दिए हैं।