यह जानकारी चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव 10 वर्ष से कम और 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों और गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। ऐसे समूहों (वल्नरेबल गु्रप्स) को कोरोना से बचाने के लिए चिकित्सा विभाग ने विशेष इंतजामात किए हैं।
चिकित्सा विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोड़ा ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। निर्देशों के अनुसार कंटेनमेंट एवं हॉटस्पॉट क्षेत्रों के लिए प्रति 100 घरों पर दो पैरामेडिकल स्टाफ की एक टीम गठित की जाए और उन्हें पल्स ऑक्सीमीटर व थर्मल स्कैनर उपलब्ध कराए जाएं। ऐसे 4-5 दलों के बीच एक वाहन की व्यवस्था भी की जाए। ये वाहन दलों को गंतव्य स्थलों तक ले जाने के साथ-साथ स्क्रीनिंग के दौरान रैफरल के लिए उपयुक्त पाए गए व्यक्तियों को निकटस्थ चिकित्सा संस्थानों तक ले जाने के लिए भी उपयोग में लिए जाएंगे।
अरोड़ा ने बताया कि कंटेनमेंट और हॉटस्पॉट क्षेत्रों में शत प्रतिशत स्क्रिनिंग सुनिश्चित करने के लिए दलों की संख्या इस प्रकार निर्धारित की जाए कि यह काम 7-10 दिवस की अवधि में पूर्ण किया जा सकेगा। इन कामों के लिए गठित समस्त दलों का प्रशिक्षण जिला या ब्लॉक स्तर पर सुनिश्चित किया जाएगा। प्रशिक्षण में यह स्पष्टता से बताया जाए कि निम्न परिस्थितियों में रैफरल जरूरी है। पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन स्तर निर्धारित स्तर से कम होने पर अन्य बीमारियों की स्थिति गंभीर होने पर नया कंटेनमेंट एरिया निर्धारित होने पर यह प्रक्रिया उक्त क्षेत्र में भी अपनाई जाएगी और यदि कोई क्षेत्र लगातार कंटेनमेंट में रहता है तो वहीं प्रक्रिया 15 दिवस के अंतराल में पुन: दोहराई जाएगी।