उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मांग की है कि कोरोना को आय का स्त्रोत मानकर सांसों के सौदागर बने निजी अस्पतालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। इतना ही नहीं कोविड संक्रमितों के बेहतर उपचार के लिए कर्नाटक की तरह निजी अस्पतालों का राज्य सरकार अधिग्रहण करे, ताकि लूट-खसोट का अड्डा बने ऐसे निजी अस्पतालों पर अंकुश लगाया जा सके। पत्र में राठौड़ ने कहा है कि जयपुर के मानसरोवर स्थित एक अस्पताल में स्टिंग ऑपरेशन के बाद तो यह स्पष्ट हो गया है कि अधिकतर निजी अस्पताल कोरोना जैसी महामारी को वरदान समझ लोगों की जेबें खाली करवाने में जुटे हैं। वे अपने अस्पताल में कोरोना संक्रमितो की सांसों की बोली लगा रहे हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार ने कोरोना मरीजों के लिए निजी अस्पतालों में श्रेणीवार शुल्क निर्धारित कर रखा है। साथ ही निजी अस्पतालों का 50 फीसदी कोटा भी अपने पास ले लिया है ,जिसे वह 75 फीसदी तक बढ़ाने की तैयारी में है। जिससे कि कोरोना काल में निजी अस्पताल मनमाने दाम वसूल नहीं कर सके। राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए दरें निर्धारित की हुई है, लेकिन वह सिर्फ कागजी हैं।
इलाज की रेट तय कर डिस्प्ले की व्यवस्था करें सरकार-देवनानी विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार कोविड मरीज़ों के निशुल्क इलाज पर जल्द फ़ैसला करें और जब तक यह नहीं कर पाती है तब तक सरकार निजी अस्पतालों में इलाज की रेट तय कर रेट कार्ड अस्पताल के बाहर डिस्प्ले कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि कोई भी मनमानी रकम मरीजों से न वसूली जा सके। सरकार की अनदेखी और मेडिकल विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत के चलते प्रदेश के निजी अस्पतालो मे कोरोना के इलाज के नाम पर खुलकर लूट चल रही है। कोरोनो का भय दिखा और मरीज की लाचारी का फायदा उठा मरीज की सांसों के साथ खुलकर सौदे हो रहे है। देवनानी ने यह भी कहा है कि प्रदेश के 200 से अधिक आयुर्वेद चिकित्सालय और तैनात स्टाफ का उपयोग कोरोना मरीजो के इलाज के लिए नही किया गया है। सरकार को इस तरफ ध्यान देते हुए आयुर्वेद अस्पतालों को भी कोरोना मरीजों के लिए तुरंत खोलने का निर्णय लेना चाहिए ताकि मरीजों को राहत मिले।