राठौड़ ने कहा कि कोरोना के कारण प्रदेश का पर्यटन उद्योग मृत प्रायः हो गया है। वहीं व्यापारिक गतिवधियां भी बंद पड़ी हैं। औद्योगिक इकाइयां भी अपनी क्षमता का मात्र 25 प्रतिशत ही काम कर पा रही है। ऐसी विकट परिस्थिति में भी राज्य सरकार घरेलू, अघरेलू, वाणिज्यिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं से श्रेणीवार 250 रुपए से लेकर 25000 रुपए प्रतिमाह स्थायी शुल्क वसूल रही है। इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी के नाम पर 40 पैसे प्रति यूनिट, अरबन सेस के नाम पर 15 पैसे प्रति यूनिट, जल संरक्षण उपकर के नाम पर 10 पैसे प्रति यूनिट, अडानी कर के नाम पर 5 पैसे प्रति यूनिट वसूलने का जनविरोधी कार्य कर रही है, जिसे तत्काल प्रभाव से अप्रेल से जून यानी 3 माह के लिए माफ कर आम उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की जानी चाहिए।
50 लाख उपभोक्ताओं के पास नहीं है ऑनलाइन सिस्टम राठौड़ ने कहा कि नियत तिथि तक भुगतान नहीं करने पर 18 प्रतिशत विलंब शुल्क भी बिलों में जोड़ा जा रहा है, जबकि लगभग 50 लाख उपभोक्ता बिजली मित्र एप या अन्य किसी ऑनलाइन सिस्टम से जुड़े हुए नहीं है और उन्हें विगत 2 माह से बिजली बिल भी नहीं मिल रहे हैं। जिसके कारण बिजली उपभोक्ताओं को विलंब शुल्क अलग से देना पड़ रहा है।
18 % विलंब शुल्क के साथ बिजली के बिल भेजना वैश्विक महामारी कोरोना वायरस में पहले से ही आम उपभोक्ता की डगमगाई अर्थव्यवस्था में घाव पर नमक छिड़कने के समान है।