(Supreme Court) सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को (COVID19) कोरोना वायरस के चलते चल रहे (Lock Down) लॉक डाउन के दौरान (Vidoe conferencing) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए (Hearing of cases) अदालती काम को लेकर कई (Directions) निर्देश जारी किए हैं।
जयपुर•Apr 06, 2020 / 06:57 pm•
Mukesh Sharma
जयपुर
(Supreme Court) सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को (COVID19) कोरोना वायरस के चलते चल रहे (Lock Down) लॉक डाउन के दौरान (Vidoe conferencing) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए (Hearing of cases) अदालती काम को लेकर कई (Directions) निर्देश जारी किए हैं। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे,जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बैंच ने यह निर्देश (Suo Motu) स्व:प्रेरित प्रसंज्ञान पर दिए हैं।
कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के तरीक स्थापित करने के लिए हाईकोर्ट के साथ संपर्क और सहयोग करने के लिए एनआईसी और राज्य के अधिकारियो को नियुक्त करने केा कहा है। बैंच ने टैक्नोलॉजी फ्रेंडली और व्यावहारिक विकल्पों को लागू करने की आवश्यकता जताते हुए कहा है कि यह ना केवल लॉक डाउन के दौरान बल्कि इसके बाद भी जारी रहनी चाहिएं। कोरोना वायरस के कारण सोश्यिल डिस्टेंगिंग की पालना करना बेहद महत्वपूर्ण है और वीसी के और इसके तौर तरीकों के नियम को लागू सुनिश्चित करने और संविधान को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट और सभी हाईकोर्ट को सोश्यिल डिस्टेंगिंग और सार्वजनिक स्वास्थ्य के दिशानिर्देशों की पालना के सभी उपाय करने और अदालतों में सोश्यिल डिस्टेंगिंग के जरुरी उपाय अपनाने को अधिकृत किया है।
यह दिए हैं निर्देश:
.कोर्ट सोश्यिल डिस्टेंगिंग को बनाए रखने के लिए अदालत कक्षों में प्रवेश को प्रतिबंधित कर सकेगें।
.पीठासीन अधिकारी किसी पक्षकार का प्रवेश तब तक प्रतिबंधित नहीं करेगा जब तक कि किसी को स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या ना हो
.वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की गुणवत्ता पर कोई भी शिकायत सुनवाई के दौरान या सुनवाई के तत्काल बाद की जानी चाहिए और इसके बाद कोई शिकायत नहीं की जा सकेगी।
.जिला अदालतें अपने हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को अपनाएं और जब तक कोई नियम नहीं हों तब तक दोनों पक्षों की सहमति के बिना किसी मामले में साक्ष्य दर्ज नहीं होगें। यदि कोर्ट रूम में साक्ष्य दर्ज करना बहुत जरुरी हो तो पीठासीन अधिकारी कोर्ट रुम में दो व्यक्तियों के बीच निश्चित दूरी बनाए रखना सुनिश्चित करेगें।
.पीठासीन अधिकारियों को अदालत कक्ष में प्रवेश करने और वकीलों की ओर से बहस शुरु करने के बिंदू तय करने की शक्तियां होगीं। यदि किसी केस में पक्षकारों की संख्या को सीमित नहीं किया जा सकता हो तो पीठासीन अधिकारी ऐसे मामलों की सुनवाई को स्थगित कर सकेगें।
.जिन लोगों को वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग तक पहुंंच नहीं है उनके लिए हाईकोर्ट को व्यवस्था करनी होगी। आवश्यक मामलों में कोर्ट न्याय मित्र नियुक्त कर ऐसे वकील को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध करवाएंगे।
बैंच ने अदालतों के जरिए कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सभी अदालतों,न्यायाधीशों,पक्षकारों और स्टॉफ से निर्देशों की पालना करने में सहयोग करने की अपील की है। मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी और तब तक उक्त निर्देश प्रभावी होगें।