जयपुर में जवाहर कला केन्द्र में आयोजित कार्यक्रम ज्ञानम में शामिल होते हुए केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने शनिवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि किसान की आय इजाफा और समाज के स्वास्थ्य में सुधार करना सरकार का प्रमुख लक्ष्य है। जिस तरह हम बच्चों को हॉस्टल में रखते है, ठीक उसी तरह से घर में जगह की कमी होने पर गाय को हॉस्टल में रखा जा सकता है। आप गाय को हॉस्टल में रखकर उसके रखने की फीस देकर दूध ले सकते है। गुजरात में ऐसा हॉस्टल चल रहा है। केंद्र सरकार इस पर काम कर रही है। जल्द ऐसा देशभर में ऐसे हॉस्टल देखने को मिलेंगी। सरकार इसमें हर संभव सहयोग करेगी।
आयोग का है यह प्रस्ताव
आपको बता दें कि गायों के लिए इस तरह के हॉस्टलों का सुझाव पिछले दिनों राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की ओर से दिया गया था। इसमें आयोग ने यह प्रस्ताव रखा था कि केंद्र और राज्यों को हर शहर में विशेष रूप से ‘गाय हॉस्टल’ के लिए कुछ स्थान आवंटित करने चाहिए। इन स्थानों की शुरूआती संख्या 10-15 हेा सकती है। ये स्थान विशेष रूप से उन लोगों के लिए आवंटित करना चाहिए जो केवल दूध की खपत में रुचि रखते हैं। साथ ही इससे राजस्व भी कमाते हैं। अयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने इस बारे में शहरी विकास मंत्रालय को गाय छात्रावासों के लिए एक गाइडलाइन बनाने के लिए भी आग्रह कर चुके हैं। इस इसे शहरी नियोजन ढांचे में शामिल किया जा सकता है।
जगह की दिक्कत वजह
दरअसल, इस कंसेप्ट के पीछे प्रमुख वजह यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग आसानी से गोपालन कर लेते हैं। लेकिन शहरों में इसमें दिक्कत होती है। शहरों में प्रमुख समस्या है गायों के रखरखाव के साथ ही इन्हें रखने के लिए जगह की कमी होना है। इस वजह से शहरों में गाय पालना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। बहुत कम लोग ही ऐसा कर पाते हैं। अगर शहरों में नगरीय निकाय, ऐसे हॉस्टल स्थापित करने के लिए जगह आवंटित करेंगे तो गाय हॉस्टल स्थापित किए जा सकते हैं। इन हॉस्टलों के रखरखाव के लिए भुगतान करके इनके दूध का उपयोग भी किया जा सकता है। दूध के साथ ही गोमूत्र और गोबर का भी उपयोग किया जा सकता है।