हालांकि इस बिल के दायरे में भैंस एवं भैंस वंश के पशु शामिल नहीं होंगे। बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस सचेतक गोविंद डोटासरा ने कहा कि इस कानून से इंस्पेक्टर राज बढ़ेगा। पहले भी कई कानून आए हैं, उनका ही सख्ती से पालन करा लिया जाए।
भैंसों की तस्करी की अनुमति दे दी क्या? भाजपा के प्रहलाद गुंजल ने कहा कि इस विधेयक में भैंस एवं भैंस वंश के पशु शामिल नहीं हैं। क्या सरकार ने इस पशुधन के अवैध निर्यात की अनुमति दे दी है? पूरणमल सैनी ने कहा, इस बिल में कैसे पता लगेगा कि गौवंश को तस्करी के लिए ही ले जाया जा रहा है?
ऐसी बात कैसे कर सकते हैं? पूरणमल सैनी ने कहा कि तड़पने की स्थिति में पहुंचने वाली मृत प्राय: गायों को जहर दे देना चाहिए। इस पर भाजपा के केसाराम चौधरी और सरकारी उपमुख्य सचेतक मदन राठौर ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि पढ़े-लिखे विधायक कैसे ऐसी बात कर सकते हैं? इस पर सैनी ने कहा कि मेरा कहने का मतलब यह नहीं था कि बूढ़ी गायों को मार देना चाहिए। वक्तव्य को गलत तरीके से लिया गया है।
तत्काल बिल पेश करने पर विपक्ष ने उठाया व्यवस्था का प्रश्न विधानसभा में राज्य सरकार की ओर से शुक्रवार को 2 बिल पेश किए गए। विपक्ष के वरिष्ठ विधायक प्रद्युम्न सिंह ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए इनका विरोध किया। शून्यकाल में राजस्थान सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक-2018 और राजस्थान इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति विधेयक-2018 पेश किया गया। इस पर विपक्ष के प्रद्युम्न सिंह ने कहा कि सहकारी सोसायटी बिल की विपक्ष के सदस्यों को अभी तक प्रति ही नहीं मिली है। इसी प्रकार इलेक्ट्रोपैथी बिल को कार्यसूची में शामिल किए बिना तत्काल पेश किया गया। इस पर सिंह ने कहा कि यह सरकार की नाकामी है। बिल तत्काल पेश किए जा रहे हैं। इनकी प्रति विधायकों को भेजी नहीं गई, फिर इन बिलों पर क्या चर्चा होगी? इस पर संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ व सिंह में नोकझोंक भी हुई।