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एनपीए से हजारों करोड डूब गए और मोरेटेरियम पर ब्याज चाहिए

locationजयपुरPublished: Jun 17, 2020 07:44:16 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

(Supreme court) सुप्रीम कोर्ट ने (GOI) केन्द्र और (RBI) आरबीआई को (Loan Payment) कर्ज भुगतान को छह महीने तक (Moratorium) टालने पर (Interest) ब्याज और (Interest on interest) ब्याज पर ब्याज वसूली करने पर (reconsideration ) पुर्नविचार करने के (direction) निर्देश दिए हैं।

जयपुर
(Supreme court) सुप्रीम कोर्ट ने (GOI) केन्द्र और (RBI) आरबीआई को (Loan Payment) कर्ज भुगतान को छह महीने तक (Moratorium) टालने पर (Interest) ब्याज और (Interest on interest) ब्याज पर ब्याज वसूली करने पर (reconsideration ) पुर्नविचार करने के (direction) निर्देश दिए हैं। जस्टिस अशोक भूषण की बैंच ने केन्द्र व आरबीआई को मामले को देखने और इंडियन बैंक एसोसिएशन को नए नियम लागू करने पर विचार करने को कहा है। कोर्ट ने यह निर्देश गजेन्द्र शर्मा व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई अगस्त तक टालते हुए दिए हैं। याचिकाओं में आरबीआई के 27 मार्च और 22 मई के सकुर्लर को चुनौती दी गई है।
यह कोई सामान्य हालात नहीं हैं…
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को कहा कि ब्याज माफी से बैकों की आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव होगा। मोरेटेरियम केवल भुगतान को टालने की व्यवस्था है जबकि अन्य शर्तें ज्यों की त्यों हैं और ब्याज माफी से जमाकर्ताओं के हित भी प्रभावित होगें।
कोर्ट ने कहा कि महामारी के समय को सामान्य हालात नहीं माना जा सकता। कोर्ट की चिंता केवल इतनी है कि इस कठिन समय में दबाव में कोई राहत मिल जाए,सरकार सबकुछ बैंकों पर नहीं छोड सकती।
2022 में भारी मंदी आएगी…
इंडियन बैंक एसोसिएशन की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि अधिकारिक अनुमान के अनुसार 2022 तक दुनिया में भारी मंदी आएगी। ऐसे में वर्तमान समय में ब्याज नहीं लेने से बैकों पर भारी दबाव पडेगा। उन्होंने नैटफिल्कस का उदाहरण देकर कहा कि कुछ सैक्टर इस दौर में भी बेहतर काम कर रहे हैं। सभी को सामान्य तौर पर ब्याज में माफी देने से काम नहीं चलेगा बल्कि ब्याज माफी के लिए अलग—अलग केस पर विचार करना होगा। एसबीआई की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि महामारी के दौर में बैंकों को जमाकर्ताओं को ब्याज देना पड रहा है और कर्ज भुगतान को टालने के लिए कोई ना कोई तो कीमत देनी होगी क्यों कि यह फ्री में नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि 90 फीसदी कर्ज लेने वालों ने तो मोरेटेरियम की सुविधा ली ही नहीं है क्यों कि उनको पता है कि यह कोई फ्री गिफ्ट नहीं है।
हजारों करोड डूब गए और अब ब्याज पर ब्याज चाहिए…
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव दत्ता ने कहा कि किसी देश में ब्याज पर ब्याज नहीं लिया जाता । कुछ सैक्टर अच्छा काम कर रहे हैं जैसे साइकिल इंडस्ट्री। ब्याज पर ब्याज वसूलने के कारण 90 फीसदी नागरिकों ने मोरेटेरियम की सुविधा नहीं ली है और हम केवल ब्याज पर ब्याज से छूट चाहते हैं। इस कठिन समय में भी आरबीआई बैकों से कमाई करना चाहता है जबकि कई लोग हजारों करोड रुपए लेकर देश से भाग गए हैं उनको यह छूट कैसे मिली !
कोर्ट ब्याज पर ब्याज पर चितिंत …
कोर्ट ने कहा कि ब्याज पर ब्याज वसूलने के कारण लोग मोरेटेरियम की सुविधा लेने से में हिचक रहे हैं। जब आरबीआई ने यह सुविधा दी है तो यह भी सुनिश्चत होना चाहिए कि लोग इसका फायदा उठाएं। कोर्ट बैकों की चिंता से भी वाकिफ है लेकिन कोर्ट की चिंता केवल ब्याज पर ब्याज वसूली तक ही है। सवाल केवल इतना है कि क्या बैंक ब्याज पर ब्याज का भार उठाएंगे या केन्द्र सरकार।

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