ऐसी ही एक बानगी भिक्षावृत्ति मांगने वाले बच्चों के साथ देखी जा सकती है। पिछले छह महीनों से राजधानी
जयपुर में ‘भिक्षावृत्ति अभियान’ चलाया जा रहा है लेकिन यह अभियान इन बच्चों को राहत देने में असफल हो रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह खुद इन बच्चों के मां—बाप है जो अपनी बुरी लत को पूरा करने के लिए इन मासूमों को भीख मांगने पर विवश कर रहे है। पूरे अभियान के दौरान जयपुर बाल कल्याण समिति ने जिला प्रशासन की मदद से 65 बच्चों को भीख मांगते हुए रेस्क्यू कराया है और इन सभी को बाल गृहों में देखभाल के लिए रखा। लेकिन इनके माता—पिता के जोरदार हंगामे के बाद समिति को मजबूर होकर इन सभी बच्चों को इनके सुपुर्द करना पड़ा। लेकिन इस अभियान के दौरान जो सच्चाई सामने आई वो चौंकाने वाली थी। समिति के सामने बच्चों ने ये स्वीकारा कि उनके मां—बाप नशा करते है, जुआ खेलते है…और भीख नहीं मांगने पर उनसे मारपीट भी करते है।
यदि जयपुर के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां रोजाना लगभग 500 बच्चे हर रोज भीख मांगने में लिप्त है। जबकि पूरे प्रदेशभर में ये आंकड़ा दस हजार से अधिक है। ये तो वो आंकड़े है जो अभियान के दौरान सामने आए है।
इनका कहना है— सड़कों पर भीख मांगने के पीछे मां-बाप अधिक जिम्मेदार है। छह महीने में 65 बच्चों को भीख मांगने से रोका है लेकिन इनके परिजन स्थानीय नेताओं और बड़ी अप्रोच दिखाकर इन्हें ले गए। बाल गृह में इन्हें रहने नहीं दिया। इन बच्चों ने ही बताया कि उनके मां-बाप नशा करते है। उन्हें भीख मांगने को मजबूर करते है। यदि सरकार सख्ती बरते तो हम एक भी बच्चा सड़क पर नहीं रहने दें।
-जितेंद्र सिखवाल, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति