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जयपुर

कौन था दारा सिंह, जानें दारासिंह एनकाउंटर की पूरी कहानी…

दारासिंह एनकाउंटर मामले का फैसला मंगलवार को कोर्ट ने सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।

जयपुरMar 13, 2018 / 04:57 pm

rajesh walia

DARA SINGH

DARA SINGH

जयपुर

राजस्थान जिले का सर्वाधिक चर्चित दारासिंह एनकाउंटर मामले का फैसला मंगलवार को कोर्ट ने सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में 14 पुलिसकर्मी शामिल है। 12 साल पहले 23 अक्टूबर 2006 को जयपुर में हुए मुठभेड़ में दारासिंह उर्फ दारिया की मौत हो गई थी। एनकाउंटर को फर्ज़ी मानते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। मंगलवार को उसी मामले में कोर्ट का फैसला आया है जिसमे सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।

कौन था दारा सिंह
क्या है दारासिंह एनकाउंटर की पूरी कहानी…

दारासिंह उर्फ दारिया राजस्थान के चूरू का रहने वाला बदमाश था। जिसके खिलाफ 50 के करीब मामले दर्ज थे, यह मामले शराब तस्करी, अवैध वसूली, किडनैपिंग हत्या और लूट के मामलों में दर्ज थे। दारासिंह का अपराध इतना बढ़ गया था की यह राजस्थान पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया था।
पुलिस के लिए दारासिंह को पकड़ना एक बड़ी चुनौती बन गई थी। काफी महीनों तक दारा पुलिस की गिरफ़्त में नहीं आया और पुलिस को परेशान कर के रख दिया। दारासिंह के लिए अफसरों की भी कई टीमें गठित की जो गुप्त रूप से बहार डेरा डाले हुए रहती थी। लेकिन इसके बाद भी दारा का गिरफ़्त में आना मुश्किल हो गया था।
12 साल पहले अक्टूबर 2006 में राजस्थान पुलिस की विशेष टीम एसओजी ने विशेष प्लान के जरिए जयपुर के मानसरोवर थाना क्षेत्र में दारा सिंह को पुलिस मुठभेड में मार दिया था। पुलिस की इस मुठभेड़ में दारा सिंह को पुलिस ने चारों तरफ से घेरकर गोलियों से छलनी कर दिया था।
वहीं इस एनकाउंटर में सियासी नेताओं के भी नाम जोड़े गए जिससे राजस्थान की राजनीति में भी गरमाई गई। बताया जाता है की राजस्थान के फर्जी एनकाउंटर कांड में बड़े चेहरों को बचाने की साजिश रची जा रही थी।
दारासिंह के परिजनों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया था। जिसके बाद पत्नी सुशीला और भाई शीश राम ने याचिका पर मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी। दारा सिंह के परिवार पर लगातार बयान बदलने के लिए दबाव डाला जा रहा था और जान से मारने की धमकी भी दी जा रही थी।
जिसके बाद दारा के परिवार ने इसकी शिकायत सीबीआई के निदेशक से की है और सुरक्षा की गुहार लगाई थी। मामले में फंसे पुलिसवालों ने उन्हें धमकाया और कहा कि वो हलफनामा देकर कहें कि दारा सिंह को फर्जी मुठभेड़ में नहीं मारा गया। सभी आरोपियों का कहना था कि उन्होंने अपने बचाव में गोली चलाई थी।
वहीं एनकाउंटर के महज पांच दिन पहले एडीजी ए.के जैन ने दारा सिंह पर 25,000 का इनाम घोषित किया। इनाम घोषित करने से पूर्व ही जैन ने दारा सिंह को खतरनाक अपराधी घोषित कर दिया और फोन सर्विलांस पर लगा दिया। एक महीने के भीतर ही दारा को खतरनाक अपराधी बना दिया।
तब ही दारा सिंह के परिजनों की गुहार पर राज्य सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। जिसमें 15 पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित 16 को आरोपी करार दिया गया था।आरोपियों में भाजपा के नेता राजेन्द्र राठौड़, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ए.के.जैन और पुलिस अधीक्षक सहित पोन्नूचामी सहित आधा दर्जन पुलिस अधिकारियों को सीबीआई जांच में दोषी माना गया था।
राठौड़ जमानत पर आए बहार

लेकिन सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निकट माने जाने वाले राठौड़ के इस मामले में आरोपी होने से प्रदेश की राजनीति में लम्बे समय से बवाल मचा हुआ था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राठौड़ जमानत पर बहार आए थे, और सभी पुलिस अधिकारी बंद थे।
मंगलवार को जयपुर स्थित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने फैसला सुना दिया और मामले से जुड़े सभी आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है। इस मामले में 14 पुलिसकर्मी शामिल थे।


इन पर था आराेप
– एडीजी ए. पोन्नुचामी
– अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अरशद अली
– इंस्पेक्टर सत्यनारायण गोदारा
– इंस्पेक्टर निसार खान
– इंस्पेक्टर नरेश शर्मा
– इंस्पेक्टर सुभाष गोदारा
– सब इंस्पेक्टर राजेश चौधरी
– सब इंस्पेक्टर जुल्फिकार
– सब इंस्पेक्टर अरविन्द भारद्वाज
– सब इंस्पेक्टर सुरेन्द्र सिंह
– रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर मुंशीलाल
– हैड कांस्टेबल बद्रीप्रसाद
– कांस्टेबल जगराम
– ड्राइवर (पुलिस) सरदार सिंह
यूं चला प्रकरण

– 11 मार्च 2011 : सीबीआई ने पुलिस इंस्पेक्टर सत्यनारायण गोदारा, निसार खान, नरेश शर्मा को गिरफ्तार किया।
– 15 मई 2011 : तत्कालीन एसपी व वर्तमान में एडीजी ए. पोन्नुचामी की गिरफ्तारी हुई।
– 26 मई 2011 : सब इंस्पेक्टर मुंशीलाल की गिरफ्तारी हुई।
– अप्रेल 2012 : सीबीआई ने भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ को गिरफ्तार किया, जो 51 दिन बाद जेल से रिहा हुए।

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