निर्णय को महत्त्व देना शुरू करें
निर्णय को महत्त्व देना ठीक उसी तरह से है, जिस तरह से आप किसी टास्क को महत्त्व देते हैं। जब आपका निर्णय किसी के लिए महत्त्वपूर्ण हो तो इससे आपकी जवाबदेही भी बढ़ जाती है। इसलिए होम लाइफ, वर्क और हर एक चीज के बारे में अपनी जिम्मेदारी को लेकर विचार करें, जैसे मैनेजर्स कई बार एम्प्लॉइज को ध्यान में रखकर निर्णय लेते हैं, पेरेंट्स अपने बच्चों की आवश्यकता को देखते हुए निर्णय लेते हैं या फिर कई बार दोस्तों की खुशी के लिए भी निर्णय लेना होता है।
बड़े निर्णयों को सुबह के लिए छोड़ दें
शोधकर्ताओं का मानना है कि दिन के समय निर्णय लेने की बजाय सुबह निर्णय लेना ज्यादा बेहतर होता है। इस समय आप अच्छे से विचार करके निर्णय ले सकते हैं। दोपहर के समय और शाम को, निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। दरअसल, इस दौरान आप कई तरह के घटनाक्रम से गुजरते हैं, इससे दिमाग पर उन सभी का प्रभाव बना रहता है, जो निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसलिए डिसिजन फटीग से उभरने के लिए आप सुबह के समय छोटे-छोटे निर्णय लेने का अभ्यास करें। इस तरह आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और निर्णय लेने से घबराएंगे भी नहीं।
ज्यादा विकल्पों पर न करें विचार
यदि आपके पास बहुत सारे विकल्प होंगे तो निर्णय लेना मुश्किल होगा और आपको तनाव होगा। इसलिए पहले या दूसरे विकल्प पर विचार करते हुए ही कोई निर्णय लें। इसका एक फायदा यह भी होगा कि आपका समय खराब नहीं होगा। दरअसल ज्यादा विकल्प होंगे तो आपको अधिक विचार-विमर्श करना होगा।
एक डेडलाइन तय कर लें
डिसिजन फटीग उस स्थिति में भी होने लगता है, जब आप किसी निर्णय को लंबे समय के लिए टालने लगते हैं। हो सकता है कि कुछ निर्णयों के लिए आपको अधिक समय लेना पड़ें लेकिन इस आदत को हर निर्णय पर लागू न करें। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप हर निर्णय के लिए एक डेडलाइन तय कर लें।
दोहरा विचार करने से बचें
दिमाग में एक साथ दो तरह का निर्णय आना ठीक नहीं है। ऐसे में आप सही और गलत का चुनाव नहीं कर पाएंगे। एक बार निर्णय लेने के बाद, उसके दूसरे पहलु पर विचार न करें, नहीं तो आप निर्णय पर कायम नहीं रह पाएंगे। साथ ही अपनी एक दिनचर्या सेट करें और उसी के अनुसार काम करें, ताकि पर्सनल एवं प्रोफेशनल लाइफ आसान हो।