मामला इनके वेतन से संबंधित है, जहां डॉक्टरों को तो प्रदेश में मोटी तनख्वाह पर रखा जा रहा है। लेकिन जब बात कनिष्ठ अभियंता की आती है तो इतने अहम और उच्च पदों पर काम रहे बीई-बीटैक के डिग्री धारी इंजीनियरों को 3600 की ग्रेड-पे पर काम करने को मजबूर हैं। तो वहीं ये इंजीनियर
जयपुर मेट्रो, जेडीए, पीएचईडी, बिजली जैसे विभागों में लगे हुए हैं। जहां लगभग दस हजार डिग्री धारी कनिष्ठ अभियंताओं को 3600 की ग्रेड-पे मिल रही है।
दरअसल, छठे वेतन आयोग के बाद उनके वेतन में विसंगति हुई और डिग्री और डिप्लोमा धारियों को एक ही ग्रेड-पे दे दी गई। जबकि पांचवे वेतन आयोग तक डिप्लोमा और डिग्री धारी इंजीनियरों की ग्रेड-पे में अंतर था। छठे वेतनमान के समय 3200 ग्रेड पे वाले अन्य कैडर जैसे द्वितीय श्रेणी शिक्षक की ग्रेड पे तो 4800 हो गई लेकिन डिग्री धारी और डिप्लोमा इंजीनियरों की एक ही ग्रेड पे 3600 कर दी गई।
जबकि पिछले दिनों डिग्रीधारी इंजीनियर अपनी ग्रेड -पे की समस्या को लेकर मंत्री राजेन्द्र राठौड़ से भी मिल चुके हैं। साथ ही उन्होंने वेतन से जुड़ी विसंगति मामले में अपना विरोध भी जताया। इस पर उन्हें फिलहाल वेतन विसंगति के लिए गठित कमेटी में मामला रखने का आश्वासन दिया गया है। डिग्री धारी इंजीनियरों का कहना है कि अगर छह अक्टूबर तक उनकी वेतन विसंगति मामले का समाधान नहीं निकला तो प्रदेश के सभी डिग्री धारी कनिष्ठ अभियंता हड़ताल पर जा सकते हैं। तो वहीं इस मामले आने वाले 25 तारीख को अहम मीटिंग भी है।