पाली में बड़ा ऑक्सीजोन विकसित किए जाने की भी जरूरत है। विशेषज्ञों के अनुसार ऑक्सीजोन में अंतरराष्ट्रीय स्तर के औसत के अनुपात से अधिक संख्या में पेड़ लगाए जाने से बदलाव आएगा। ऑक्सीजोन में बड़ी संख्या में पक्षी भी रह सकें, उसकी डिजाइन उसी तरह तैयार की जाए। प्रदूषण के स्तर को देखते हुए तुलसी के पौधे लगाए जा सकते हैं। तुलसी के पौधे काफी मात्रा में ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं। ऑक्सीजोन में पेड़ लगाने से पहले यह रिसर्च किया जा सकता है कि किस तरह के पेड़ पाली के वातावरण के अनुकूल हैं और ज्यादा ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाएंगे। विशेषज्ञों के अनुसार ऑक्सीजोन की डीपीआर बनाने से पहले शहर के हर इलाके की वायु गुणवत्ता का परीक्षण कराया जाना चाहिए। ऑक्सीजोन में इस तरह के पेड़ लगाने का प्रयास किया जाना चाहिए, जिससे कम से कम 4 किमी तक तापमान में कमी हो सके और 7 से 8 किमी तक प्राण वायु शुद्ध हो। इसमें पक्षियों के लिए भी संरक्षित स्थान का प्रावधान भी किया जा सकता है। यहां बड़ी संख्या में पेड़ लगाने के साथ पर्यटकों को आकर्षित करने वाली संरचनाएं विकसित की जा सकती हैं। ऑक्सीजोन में तनाव को कम करने के लिए एक जोन बनाया जा सकता है।
यहां विकसित किए गए हैं ऑक्सीजोन:
देश में छत्तीसगढ़ के रायपुर और राजस्थान के कोटा शहर में ऑक्सीजोन विकसित किए जा चुके हैं। यहां सघन पौधे लगाने से आसपास के वातावरण में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।
यह बोले एक्सपर्ट…
पाली शहर और आसपास नीम, करंज, गुलमोहर, कनेर, पीपल, बड़, गूलर, जामून व शहतूत तथा मेहंदी के पेड़ लगाए जा सकते हैं। नीम, पीपल व बड़ के पेड़ पर्यावरण के लिए अधिक लाभकारी हैं। तुलसी आयुर्वेद की दृष्टि से गुणकारी है। तुलसी वातावरण को शुद्ध करने के साथ हानिकारक गैसों का अवशोषण भी करती है। पाली की जलवायु इसके लिए उपयुक्त है। यह खारे पानी में भी हो सकती है।