प्रदेश में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमाने लगा है। गुर्जर और जाट समाज के आरक्षण के बाद अब मेव जातियों ने भी आरक्षण दिए जाने की ताल ठोक दी है। दरअसल, मेव सहित कुछ अन्य जातियों के एमबीसी आरक्षण में शामिल किए जाने की मांग उठने लगी है। हालांकि इस मांग के उठने के साथ ही इसका विरोध भी होने लगा है। एमबीसी वर्ग में पहले से ही शामिल गुर्जर समुदाय ने मेव जातियों के उन्हीं के आरक्षण वर्ग में शामिल किए जाने की मांग पर आपत्ति जताई है। गुर्जरों ने सरकार को चेताते हुए कहा है कि एमबीसी आरक्षण के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
कांग्रेस विधायक ने विधानसभा में उठाई मांग
प्रदेश की मेव जातियों को एमबीसी आरक्षण कोटे में शामिल किये जाने की मांग विधानसभा में उठी है। कांग्रेस विधायक वाजिब अली ने मेव सहित कुछ अन्य जातियों के आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े को आधार बनाते हुए उन्हें एमबीसी आरक्षण में शामिल करने और आरक्षण सीमा बढाने की सरकार से अपील की है। हालांकि विधायक वाजिब अली के इस मांग के उठाते ही एमबीसी के गुर्जर समुदाय ने आपत्ति जतानी शुरू कर दी है।
प्रदेश की मेव जातियों को एमबीसी आरक्षण कोटे में शामिल किये जाने की मांग विधानसभा में उठी है। कांग्रेस विधायक वाजिब अली ने मेव सहित कुछ अन्य जातियों के आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े को आधार बनाते हुए उन्हें एमबीसी आरक्षण में शामिल करने और आरक्षण सीमा बढाने की सरकार से अपील की है। हालांकि विधायक वाजिब अली के इस मांग के उठाते ही एमबीसी के गुर्जर समुदाय ने आपत्ति जतानी शुरू कर दी है।
इन आधारों पर ‘आरक्षण’ की मांग
कांग्रेस विधायक ने मेव सहित अन्य जातियों को एमबीसी आरक्षण का लाभ देने के लिए कई आधार बताये हैं। विधायक के अनुसार अलवर और भरतपुर क्षेत्रों में प्रमुख रूप से निवास करने वाली मेव जाति शिक्षा, रोज़गार और अन्य मूलभूत सुविधाओं और संसाधनों के लिहाज़ से काफी पिछड़ी हुई है। मुख्य रूप से खेती और पशुपालन का कार्य कर अपना जीवन गुज़र-बसर करने वाली ये जाति आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई हैं। यही नहीं मेवात क्षेत्रों में भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि इनका खेती और पशुपालन करना मुश्किल हो गया है।
कांग्रेस विधायक ने मेव सहित अन्य जातियों को एमबीसी आरक्षण का लाभ देने के लिए कई आधार बताये हैं। विधायक के अनुसार अलवर और भरतपुर क्षेत्रों में प्रमुख रूप से निवास करने वाली मेव जाति शिक्षा, रोज़गार और अन्य मूलभूत सुविधाओं और संसाधनों के लिहाज़ से काफी पिछड़ी हुई है। मुख्य रूप से खेती और पशुपालन का कार्य कर अपना जीवन गुज़र-बसर करने वाली ये जाति आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई हैं। यही नहीं मेवात क्षेत्रों में भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि इनका खेती और पशुपालन करना मुश्किल हो गया है।
उन्होंने सरकार का इस ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि मेव जाति की ही तरह मुस्लिम लुहार, मिरासी, मियाँ, कुरैशी, गद्दी और छोटी-छोटी अन्य जातियां भी इसी तरह से पिछड़ी हुई हैं। विधायक ने सरकार से मेव और अन्य जातियों का सर्वे करवाकर इन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एमबीसी-एसबीसी में शामिल किए जाने की अपील की। साथ ही आरक्षण सीमा को बढ़ाकर पांच से दस प्रतिशत किये जाने की भी मांग की।
एमबीसी में छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं: गुर्जर
मेव सहित अन्य जातियों को एमबीसी में आरक्षण की उठी मांग पर गुर्जर समुदाय ने आपत्ति दर्ज करवाने के साथ सरकार को चेताया भी है। गुर्जर नेता विजय बैंसला ने कहा कि एमबीसी आरक्षण के साथ छेड़छाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उन्होंने कहा कि मेव जाति पिछड़ी हो सकती है और इन्हें भी आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन एमबीसी में नहीं।
मेव सहित अन्य जातियों को एमबीसी में आरक्षण की उठी मांग पर गुर्जर समुदाय ने आपत्ति दर्ज करवाने के साथ सरकार को चेताया भी है। गुर्जर नेता विजय बैंसला ने कहा कि एमबीसी आरक्षण के साथ छेड़छाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उन्होंने कहा कि मेव जाति पिछड़ी हो सकती है और इन्हें भी आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन एमबीसी में नहीं।
अलग कैटेगरी देकर मिले आरक्षण
गुर्जर नेता विजय बैंसला ने कहा कि मेव जातियों को यदि सरकार अलग से नई कैटेगरी बनवाकर आरक्षण देती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन एमबीसी में शामिल किये जाने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने गहलोत सरकार से एमबीसी वार्ड में छेड़छाड़ नहीं करने का आग्रह किया। बैंसला ने कहा कि एमबीसी आरक्षण समाज के त्याग और 73 लोगों की शहादत के बाद प्राप्त हुआ है।
गुर्जर नेता विजय बैंसला ने कहा कि मेव जातियों को यदि सरकार अलग से नई कैटेगरी बनवाकर आरक्षण देती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन एमबीसी में शामिल किये जाने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने गहलोत सरकार से एमबीसी वार्ड में छेड़छाड़ नहीं करने का आग्रह किया। बैंसला ने कहा कि एमबीसी आरक्षण समाज के त्याग और 73 लोगों की शहादत के बाद प्राप्त हुआ है।
आरक्षण सीमा बढ़ाने के पक्ष में है सरकार
गौरतलब है कि गहलोत सरकार भी राज्य में आरक्षण सीमा को बढ़ाने के पक्ष में है। पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इसके संकेत दिए थे। सरकार ने 1992 के इन्दिरा साहनी प्रकरण में आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत सीमा सम्बन्धी निर्णय पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता जताई थी। राज्य में विशेष परिस्थितियों के चलते 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिए जाने के पक्ष में है।
गौरतलब है कि गहलोत सरकार भी राज्य में आरक्षण सीमा को बढ़ाने के पक्ष में है। पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इसके संकेत दिए थे। सरकार ने 1992 के इन्दिरा साहनी प्रकरण में आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत सीमा सम्बन्धी निर्णय पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता जताई थी। राज्य में विशेष परिस्थितियों के चलते 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिए जाने के पक्ष में है।