निशुल्क योजना का शुल्क वसूल रहा विभाग
टीकाकरण के लिए पशुपालकों ने लिए जा रहे रुपएअनिवार्य योजना बनी पशुपालकों की इच्छा पर निर्भर योजनापशुपालकों को राहत दिए जाने की मांग
निशुल्क योजना का शुल्क वसूल रहा विभाग
एक ओर राज्य सरकार पशुओं को निशुल्क दवा उपलब्ध करवा कर किसानों और पशुपालकों को राहत दे रही है तो दूसरी ओर प्रदेश का पशुपालन विभाग पशुओं को गंभीर रोगों से बचाव के लिए लगाए जाने वाले टीकों का शुल्क पशुपालकों से ले रहा है। जानकारी के मुताबिक पशुओं को गंभीर रोगों से बचाव के लिए लगाए जाने वाले टीकों गलघोंटू, लंगड़ा बुखार, खुरपका, मुंहपका, पीपीआर, एंटेरोटॉक्सिमीया आदि का पशु पालन विभाग पशुपालकों से शुल्क ले रहा है।
अनिवार्य योजना बनी इच्छा पर निर्भर
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में एफएमडीसीपी प्रोग्राम के तहत पशुओं में अनिवार्य रूप से टीकाकरण किया जाता है। जिससे पशुओं को इन रोगों से बचाया जा सके लेकिन पशुपालकों से पशु पंजीकरण के रूप में प्रति पशु दो रुपए की राशि ली जा रही है। जिसके चलते अब यह अभियान अनिवार्य न होकर पशु पालकों की इच्छा पर निर्भर होकर रह गया है और सम्पूर्ण पशुओं में टीकाकरण की अवधारणा में बाधक बन रह कर गया है।
इसलिए जरूरी है टीकाकरण
मुंहपका, खुरपका और बुसेलिसिस रोगों का दूध और अन्य पशुधन उत्पादों के व्यापार पर प्रत्यक्ष नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि कोई गाय या भैंस इससे से संक्रमित हो जाती है, तो वह दूध देना लगभग बंद कर सकती है और यह रोग 4 से 6 महीने तक रह सकता है। इसके प्रभाव से किसान को काफी नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि केंद्र सरकार के इस कार्यक्रम को किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ भी जोड़ कर देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन
पशुपालकों ने अपनी मांग को लेकर मुख्यमंत्री और पशुपालन मंत्री को भी ज्ञापन दिया है। उनका कहना है कि वैसे ही पूरा प्रदेश अतिवृष्टि की चपेट में आ रहा है जिससे किसानों और पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ा और अब टीकाकरण के लिए भी उन्हें शुल्क देना पड़ा तो वह पशुओं की देखरेख कैसे कर सकेंगे।
पशुपालकों को राहत प्रदान करने की मांग
खुरपका मुंहपका टीकाकरण के लिए पशुपालकों से दो रुपए प्रति टीका वसूला जा रहा है। जबकि देश के अन्य राज्यों में यह पूर्णतया निशुल्क रूप से लगाया जा रहा है। यह प्रदेश के पशुपालकों के साथ अन्याय है। कोरोना काल में पशुपालक आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। साथ ही पैसे के लेनदेन से टीकाकर्मी और पशुपालकों को संक्रमण का खतरा भी रहेगा। प्रदेश के पशुपालक सरकार से निरंतर मांग कर रहे हैं कि पशुओं में लगाए जाने वाले सभी प्रकार के टीकों को निशुल्क कर किसानों और पशुपालकों को राहत प्रदान करें।
अजय सैनी, प्रदेशाध्यक्ष,
राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ
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