पंडित अक्षय शास्त्री बताते है कि देवउठनी एकादशी पर अबूझ मुहूर्त को लेकर अलग-अलग मान्यताएं देखी जाती हैं। कुछ लोग तारा अस्त होने के कारण विवाह कार्य टाल देते हैं तो कुछ स्वयं सिद्ध मुहूर्त में तारा अस्त को भी अनदेखा कर देते हैं। लेकिन, ज्योतिष के मुताबिक गुरु-शुक्र तारा अस्त होने पर धनु-मीन के मलमास और होलाष्टक होने के कारण विवाह के लिए अशुद्ध समय रहेगा।
इस बीच गुरु का उदय 8 नवंबर को होने से विवाह के शुद्ध मुहूर्त 19 नवंबर से 13 दिसंबर तक रहेंगे। इसके बाद फिर 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक सूर्य के धुन राशि में होने से मलमास रहेगा। इसके साथ ही 17 दिसंबर से 3 फरवरी तक शुक्र तार भी अस्त हो जाएगा, जिससे विवाह मुहूर्त नहीं होंगे। शुक्र का उदय 3 फरवरी को सुबह 9 बजे होगा। इसके बाद शुद्ध विवाह के मुहूर्त शुरू होंगे।
सरोवर व देवालयों में होंगे दीपदान एकादशीके दिन कार्तिक स्नान करने वाली महिलाएं गलता सहित विभिन्न सरोवरों में दीपदान करेंगी। महिलाएं गत्ते के डिब्बों पर दीप रखकर जल पर तैराएंगी। इस दिन शाम को पुष्कर, गलता, लोहार्गल, सहित प्रदेश के सरोवरों एवं झीलों के किनारे दीपदान व पूजन कार्यक्रम रहेगा। मंदिरों में विशेष पूजा, अनुष्ठान, भजन-कीर्तन आदि कार्यक्रम होंगे। परंपरा अनुसार देवउठनी एकादशी पर तुलसी-सालिगराम प्रभु के विवाह भी होंगे।
विवाह के शुद्ध-शुभ मुहूर्त 13 अक्टूबर को गुरु के अस्त होने से मांगलिक कार्यों पर विराम लगा हुआ है। इसके चलते देव उठने के बाद भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 31 अक्टूबर को देव उठनी एकादशी होने से इसदिन अबूझ सावा रहेगा। नवम्बर में 19, 23, 24, 25, 28, 29 और 30। दिसंबर में 1, 3, 4, 10, 11 और 13 । जनवरी में शुक्र के अस्त होने से केवल 22 जनवरी को बसंत पंचमी को सिर्फ अबूझ सावा का मुहूर्त रहेगा। इसके बाद 3 फरवरी को शुक्र उदय होने के बाद 7 फरवरी से फिर से सावे शुरू होंगे।