
Ekadashi
Dev Uthani Ekadashi 2023: बैंड, बाजा और बारात की रौनक में शहरवासी एक बार फिर से पांच महीने बाद गुरुवार से व्यस्त रहेंगे। देवउठनी एकादशी के अबूझ मुहूर्त से शहरभर में मांगलिक कार्यों की धूम रहेगी। चारदीवारी समेत अन्य बाजारों में खरीदारी परवान पर है। इधर, लोकतंत्र के उत्सव मतदान दिवस से पहले चुनाव प्रचार का दौर गुरुवार को थम जाएगा। इस बीच प्रत्याशी भी अपने-अपने क्षेत्र में शादियों में मेल मिलाप करेंगे। नव दम्पतियों को देर रात आशीर्वाद देने का सिलसिला जारी रहेगा।
औसतन पहुंचेगे 500 से अधिक लोग
आल इंडिया टैंट डेकोरेटर वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि जिंदल ने बताया कि जयपुर में 20 हजार के करीब शादियां होंगी। एक शादी में औसतन 500 लोग पहुंचेंगे। समारोह में मेहमानों से मतदान करने का आह्वान बोर्ड और संदेशों के जरिए किया जाएगा। प्रदेश भर में 50 हजार से अधिक शादियां होंगी। ऐसे में एक लाख के करीब नवयुगल भी वोट डालेंगे। चुनाव के मद्देनजर शादी समारोह में प्रत्याशियों के शादी समारोह में शिरकत करने से भी लोगों की संख्या अधिक रहेगी। जयपुर फल और सब्जी थोक विक्रेता संघ मुहाना टर्मिनल मार्केट के अध्यक्ष राहुल तंवर ने बताया कि बुधवार सुबह से मंडी में लोगों की भीड़ नजर आई। सीजनेबल सब्जियों के दाम 20 से 25 फीसदी बढ़े हैं। गोभी, मैथी, गाजर, शकरकंदी सहित अन्य सब्जियों की घरेलू आवक है।
ब्रह्म मुहूर्त में घंटे-घड़ियाल बजाकर जगाएंगे देव
क्षीर सागर में शयन कर रहे श्रीहरि को ब्रह्म मुहूर्त में घंटे घड़ियाल बजाकर योग निद्रा से जगाया जाएगा। गोविंददेवजी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में विशेष झांकियां सजने के साथ ही तुलसी-शालिग्राम विवाह भी संपन्न होंगे। ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप का विवाह तुलसी के संग बड़ी धूमधाम से करने की परंपरा है। सनातन धर्म में तुलसी का बहुत महत्व है, जिन महिलाओं की बेटियां नहीं है, वे तुलसी को बेटी मानकर कन्यादान करने का संकल्प लेंगे।
ज्योतिषाचार्य पं राजेंद्र शर्मा ने बताया कि विष्णु भगवान ने शंखासुर दैत्य को मारा था और उसके बाद चार महीने के लिए योग निद्रा में चले गए। देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु जागते हैं और पुन: सृष्टि चलाने की जिम्मेदारी संभालते हैं। भगवान विष्णु के जागते ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इसलिए देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। सिद्धि योग, सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग का विशेष संयोग रहेगा। तीर्थ स्नान, दान पुण्य करने के साथ ही दीपदान करने की भी परंपरा है।
Published on:
23 Nov 2023 09:39 am
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