scriptजल संरक्षण के लिए अपना रहे हैं अलग-अलग तरीके | Different ways are being adopted for water conservation | Patrika News
जयपुर

जल संरक्षण के लिए अपना रहे हैं अलग-अलग तरीके

स्कूल में बच्चों को कर रहे जागरुक, दे रहे पानी बचाने की टिप्स

जयपुरMay 10, 2018 / 12:13 pm

Ashiya Shaikh

water conservation

water conservation

गर्मियां आते ही जल संकट की समस्या गहराने लगती है। जिसके लिए न सिर्फ सरकार बल्कि जल संरक्षण के लिए काम कर रही गैर सरकारी संस्थाएं भी जल संरक्षण पर वार्कशॉप आयोजित करती है। साथ ही लोगों को जल संक्षरण के लिए नई-नई टेकनीक बनाती हंै। जिसे अपनाकर ज्यादा से ज्यादा पानी की बचत कर सकते हैं।
जयपुर . जल है तो कल है… जल तो सोना इसे कभी नहीं खोना… जल संरक्षण घरती का रक्षण…जल बचाएं अपना जीवन बचाएं… ऐसे स्लोगन और कोट्स आए दिन अखबारों, फेसबुक, सोशल मीडिया और दीवारों में लिखे हुए नजर आते हैं। तो वहीं गर्मियां आते ही जल संकट की समस्या गहराने लगती है। जिसके लिए न सिर्फ सरकार बल्कि जल संरक्षण के लिए काम कर रही गैर सरकारी संस्थाएं भी जल संरक्षण पर वार्कशॉप आयोजित करती है। साथ ही लोगों को जल संक्षरण के लिए नई-नई टेकनीक बनाती हैं। जिसे अपनाकर ज्यादा से ज्यादा पानी की बचत कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए भी जरूरी है व्यक्तिगत रूप से पहल करने की। जहां गर्म मौसम में पानी की समस्या सबसे बड़ा मुद्दा बन गई है। वहीं कई क्षेत्रों में जल संकट की समस्या देखने को मिल रही है। जल संकट और पानी की किल्लत से बचने के लिए क्षेत्र के कई लोग वाटर हार्वेस्टिंग और पारम्पारिक तरीके से पानी को स्टोर कर रहे है। साथ ही लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक कर रहे हैं। जल संरक्षण पर एक विशेष रिपोर्ट।
लोगों को कर रहे जागरूक
जल संरक्षण के लिए नंदपुरी व्यापार मंडल की ओर से हर साल क्षेत्र के निवासियों को जागरुक करने के लिए जल संरक्षण के लिए वर्कशॉप आयोजित की जाती है। समिति के अध्यक्ष नरेंद्र मारवाल ने बताया कि मंडल की ओर से ट्रेनिंग सेशन रखा जाता हैं। जिसमें क्षेत्र के लोगों को जल संरक्षण के बारे में बताया जाता है। जिनको अपना कर ज्यादा से ज्यादा पानी की बचत कर सकते हें। जैसे- बर्तन धोते समय नल को धीमा रखें, खाना खाने से पहले हाथ धोने के बजाय सेनेटाइजर का यूज करें, जितना पानी पीना हो उतना ही पानी गिलास में लेकर पीए, व्हीकल को गिले कपड़े से साफ करें और नहाने के समय शॉवर का यूज न करके बाल्टी का इस्तेमाल करें। इन छोटी- छोटी आदतों को अपनाकर पानी बचाया जा सकता है।
बच्चे सीख रहे पानी बचाना
अगर बच्चों को इनिशियल स्टेज पर पानी की अहमियत के बारे में अवेयर कर दिया जाए तो बच्चे ताउम्र उस सीख पर अमल करते हैं। इसलिए क्षेत्र के कई स्कूलों में बच्चों को जल संरक्षण के लिए ज्यादा से ज्यादा अवेयर करते हैं। वहीं स्कूल ट्ीचर्स बताती हैं कि बच्चों को हम ग्राउंड लेवल से पानी बचाने की बात करते हैं, क्योंकि हम मानते है यदि बच्चें किसी चीज में एनिशिएटिव लेते हैं तो बड़े भी उन्हें फॉलो करते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि बड़ों की तुलना में बच्चें जल्दी हर चीज के एनिशिएटिव लेते हैं और डिसिप्लिन केे साथ उसे फॉलो करते हैं।
अपना रहे कई तरीके
जल संरक्षण के लिए लोग कई इनोवेटिव आइडियाज को फॉलो कर रहे है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला हसनपुरा स्थित एनबीसी ग्रांउड में। जहां ग्राउंड को सडक़ की नालियों से जोड़ दिया गया है, जिससे बारिश में सडक़ों पर व्यर्थ बहने वाला पानी नालियों से बहकर ग्राउंड तक पहुंच जाता है। फिर उस पानी से रोजाना ग्राउंड पर छिडक़ाव किया जाता है। जिससे ग्राउंड का वॉटर लेवल बना रहे।
बारिश के पानी को कर रहे संचय
बारिश के पानी को संचित करने के लिए क्षेत्र के लोगों ने अपने घर में एक टैंक बनवा कर रखा है। जिसमें पाइप की सहायता से बारिश का पानी छत से होते हुए, घर के अंदर बने टैंक में आता है। वो इसका इस्तेमाल घरेलू कामों में करती हैं।
बढ़ता कॉलोनी का वॉटर लेवल
केशव नगर की समिति के सचिव अनुदीप ने बताया कि लोगों ने मिलकर क्षेत्र में स्थित शिव मंदिर में 5 हजार स्कॉयर फीट में वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम बनवाया है। जिसमें भगवान शिव के ऊपर चढ़ाया जाने वाला जल और बारिश का पानी इकट्ठा होता है। जिससे कॉलोनी का वॉटर लेवल बना रहता है।
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