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जयपुर

देखो सरकार! जर्जर कक्षों में पढ़ रहे बच्चे, कब सुधरेंगे हालात

dilapidated Govt Schools: एक ओर सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने को लेकर सरकारी योजनाओं का बखान किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेशभर में सरकारी स्कूलों के बच्चे जर्जर भवन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

जयपुरJul 15, 2019 / 09:31 am

SAVITA VYAS

govt school bundi

देखो सरकार! जर्जर कक्षों में पढ़ रहे बच्चे, कब सुधरेंगे हालात

जयपुर। एक ओर सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने को लेकर सरकारी योजनाओं का बखान किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेशभर में सरकारी स्कूलों (govt school )के बच्चे जर्जर भवन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। शिक्षा विभाग (shiksha vibhag) ने केंद्र सरकार को करीब 1500 करोड़ रुपए का बजट (budget) का प्रस्ताव भिजवा रखा है, लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली है। मानसून (mansoon) आने के साथ ही जर्जर भवन बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। नया सत्र शुरू होने पर नामांकन बढ़ गया है, लेकिन स्कूलों में कमरों की संख्या ज्यों की त्यो है। विभाग ने सत्र 2019-20 में राजकीय विद्यालयों में कमरों के निर्माण के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से संचालित समग्र शिक्षा अभियान के तहत 1099 करोड़ और नाबार्ड के तहत 400.09 करोड़ के प्रस्ताव भेजे गए हैं, जिनकी स्वीकृति अभी तक नहीं मिली है। जब तक स्वीकृति प्राप्त नहीं होगी, तब तक जर्जर स्कूलों की हालत में सुधार नहीं हो सकेगा।
हादसों को निमंत्रण
आए दिनों स्कूलों की दिवार ढहने से हो रहे हादसों के बाद भी प्रशासन का जर्जर हो चुकी स्कूलों पर अभी भी ध्यान नहीं है। ऐसा ही एक मामला बूंदी जिले के नोताडा पंचायत स्थित लक्ष्मीपुरा विधालय का हैं, जहां एक कमरे की पट्टी में आई दरार के चलते कभी भी टूटने की आशंका बनी हुई है। हालांकि टूटने की आशंका के चलते स्कूल स्टाफ ने बच्चों को कमरे में बिठाना बंद कर दिया है। विद्यालय में 47 बच्चों का नामांकन है और चार कमरे बने हैं। एक कमरे में पोषाहार सामग्री रखी हुई है और पोषाहार बनाने में काम आता है। दूसरे की पट्टी क्षतिग्रस्त है। ऐसे में अब सारी कक्षाओं के बच्चों को दो कमरो मे बैठाकर पढ़ाई करानी पड़ रही है। स्टाफ का कहना हैं इस मामले में कई बार प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई
बालिकाओं के छात्रावास भी नहीं बन सके
केंद्र सरकार से बजट नहीं मिल पाने के कारण कक्षा भवन ही नहीं बल्कि बालिकाओं के छात्रावास भी नहीं बन पाए हैं। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए फिलहाल 204 पंचायत समितियों में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय संचालित है। इनमें से 24 में छात्रावास चल रहे हैं। शेष 67 वंचित पंचायत समितियों में छात्रावास खोलने के लिए शिक्षा विभाग ने केंद्र सरकार से बजट मांगा है।

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