दरअसल इसकी एक वजह यह भी है कि प्रदेश कांग्रेस में अभी तक कोई अनुशासन समिति ही नहीं बनी है जिसके चलते सार्वजनिक बयान देने वाले विधायकों-नेताओं पर अनुशासनहीनता का डंडा नहीं चल पा रहा है ।
कई विधायकों ने खड़े किए अपनी सरकार पर सवाल
दरअसल बीते कई महीनों में प्रदेश कांग्रेस में अनुशासनहीनता के कई मामले सामने आए हैं लेकिन उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। विधायक इंदिरा मीणा, अमीन खां, वेद प्रकाश सोलंकी, मुरारी मीणा, रमेश मीणा जैसे विधायकों ने सरकार पर सवाल खड़े करते हुए सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी कर चुके हैं जो कि सीधे-सीधे अनुशासनहीनता का मामला बनता है, लेकिन न तो इस मामले में उनसे कोई जवाब तलब किया गया और न ही कोई अभी तक कोई कार्रवाई की गई है जिससे कि इन बयानवीरों पर लगाम नहीं लग पा रही है।
1 साल से भंग है अनुशासन समिति
दरअसल 2012 में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ चंद्रभान के समय कांग्रेस की अनुशासन समिति डॉ. चंद्रभान के पीसीसी अध्यक्ष रहते बनीं थी। पूर्व मंत्री हीरा लाल इंदौरा को अनुशासन समिति का चेयरमैन बनाया गया था।
अनुशासन समिति में आधा दर्जन सदस्य थे। सचिन पायलट के कार्यकाल में भी इसी कमेटी को बरकरार रखा गया था, लेकिन बीते एक साल से अनुशासन समिति भंग है और प्रदेश कांग्रेस में अनुशासनहीनता के मामले लगातार मामले बढ़ रहे हैं।
हालांकि गोविंद सिंह डोटासरा के अध्यक्ष बनने के बाद सभी को उम्मीद थी कि नई प्रदेश कार्यकारिणी के साथ ही प्रदेश कांग्रेस में नई अनुशासन समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें कई ,वरिष्ठ नेताओं को सदस्य बनाया जाएगा, लेकिन प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी का गठन हो गया, पर अनुशासन समिति का गठन अभी तक नहीं हो पाया है।
पार्टी फोरम पर होनी चाहिए बात
पार्टी नेताओं की माने तो अगर किसी विधायक, मंत्री या नेताओं को किसी भी प्रकार की कोई शिकायतें या गिले शिकवे हों तो उसे अपनी बात पार्टी फोरम में कहनी चाहिए। सार्वजनिक रूप से शिकायतों को लेकर बयानबाजी करना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।