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क्या जयपुर को चाहिए दो कलक्टर

रिटायर्ड जिला कलक्टर जगरूप सिंह यादव ने दिया सुझाव, जयपुर में प्रशासनिक कामकाज का भार ज्यादा, ८४ कमेटियों का अध्यक्ष होता है कलक्टर, दिनभर बैठकें होती हैं जनता के लिए मिल रहा कम समय

जयपुरDec 23, 2019 / 06:09 pm

Abrar Ahmad

district collector office of jaipur

district collector office of jaipur

जयपुर. जयपुर के रिटायर्ड कलक्टर जगरूप सिंह यादव ने सुझाव दिया है कि राजधानी जयपुर को समेटे जिले के दो कलक्टर होना चाहिए। उनका कहना है कि दो कलक्टर होने से जनता का काम बंट जाएगा और जनता को राहत मिलेगी। वहीं पूर्व कलक्टर के सुझाव के बाद यह बहस शुरू हो गई है कि जनता का अधिकारी ही जनता से क्यों दूर होता जा रहा है। सरकार और जनता के बीच की कड़ी होती है जिला कलक्टर। इसे जनता का अधिकारी भी कहा जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। लेकिन जिलों में जनता और अधिकारी के बीच दूरी होती जा रही है। एक कलक्टर के पास 84 जिला स्तरीय कमेटियों की जिम्मेदारी है। हर दिन कम से कम तीन बैठकों में कलक्टर भाग ले रहे हैं। ऐसे में अधिकांश कमेटियों की बैठकें महज औपचारिक हैं, जिनका कोई नतीजा नहीं निकलता। कलक्टर अधिकांश जिला स्तरीय बैठकों के साथ प्रदेश स्तरीय वीडियो कांफ्रेंसिंग में व्यस्त रहते हैं। मैराथन बैठकों की भरमार के चलते अधिकांश जिला कलक्टर कार्यालयों में आमजन की सुनवाई नहीं हो रही। जनता कलक्टर कार्यालयों के बाहर इंतजार करके लौट रही है।
अधिक जिम्मेदारी का यह पड़ रहा असर
-कलक्टरों के पास समय की कमी के चलते कुछ जिलों को छोड़कर अधिकांश जिलों में विकास की ठोस और विजन वाली योजनाएं नहीं बन रही।

-भविष्य की जरूरत को ध्यान में रखकर सड़क, पुल, ड्रेनेज, अस्पताल, स्कूल, कॉलेजों की योजनाएं नहीं बनने से जनता सजा भुगतने को मजबूर।
-अधिकांश जिलों में कलक्टरों के गांवों में रात्रि विश्राम और जनसुनवाई कार्यक्रम गत कई वर्ष से बंद पड़े हैं।
कलक्टर के पास ये हैं आठ बड़ी जिम्मेदारियां
1. कलक्टर: राजस्व, खनिज, आबकारी समेत अन्य तरह के कर संग्रहण, कोष कार्यालयों की निगरानी, जमीन और सरकारी संपत्ति से जुड़े मुद्दे।
2. मजिस्ट्रेट: जिलों में कानून व्यवस्था बनाना, पुलिस व जेल का सुपरविजन, शांति कायम करने के लिए धारा 144 लागू करवाना, विशेष अपराध और सुरक्षा मामलों में वारंट जारी करना।
3. प्रशासक: जिलों का चीफ प्रोटोकॉल ऑफीसर, एसडीओ-तहसीलदार का सुपरविजन, कर्मचारियों का वेतन और पेंशनरों की पेंशन बनवाना।
4. विकास अधिकारी: जिले में विकास और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लागू करवाना, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई, ऊर्जा, वन, कृषि और चिकित्सा विभाग में सीधे दखल। विभिन्न विभागों और एजेन्सियों में समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी।
5. आपदा राहत प्रबंधक: जिला स्तरीय आपदा राहत कमेटी के अध्यक्ष होने के नाते आपदा राहत की प्लानिंग, बाढ़-भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य शुरू करवाना और प्रभावितों का विस्थापन।
6. खाद्य व नागरिक आपूर्ति: सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकारी योजनाओं के तहत लोगों को रियायती दर पर खाद्यान्न व अन्य सामग्री वितरण, जमाखोरी रोकना, सरकारी दर पर खाद्यान्न की खरीद।
7. निर्वाचन अधिकारी: लोकसभा से लेकर पंचायत स्तर तक के निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी।
8. अन्य कार्य: अन्य कोई भी सरकारी कार्य जो कि किसी विभाग के अधीन नहीं आ रहे हों, उनकी जिम्मेदारी जिला कलक्टर के पास है।

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