दरअसल, राजधानी में श्वानों की संख्या काबू करने के लिए 2011 में एंटी बर्थ प्रोग्राम (एबीसी) शुरू किया गया गया था। इससे आमजन का तो कोई भला नहीं हुआ हो, लेकिन पशु प्रबंधन शाखा के सहयोग से ठेकेदार वर्षों से चांदी कूट रहे हैं।एक अनुमान के मुताबिक 40 हजार श्वानों का एबीसी प्रोग्राम के तहत बधियाकरण हो चुका है। इस पर निगम अब तक 2.40 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। इसके बाद भी श्वानों की संख्या सीमित नहीं हो पाई।
ठेकेदार फर्म पर कार्रवाई नहीं मौजूदा स्थिति की बात करें तो 14 फरवरी से बधियाकरण बंद है। भुगतान न होने की बात कहकर निगम पल्ला झाड़ रहे हैं, लेकिन ठेकेदार फर्म कृष्णा सोसायटी फॉर एनिमल पर निगम ने सीधे तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की।
पकड़े थे 4 श्वान वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी राजेंद्र मीणा ने बताया कि 19 मई को सूचना आने के बाद 20 और 21 मई को चार श्वानों को पकड़ा था। बाकी पकड़ में नहीं आए।
जल्द करेंगे समीक्षा सूचना मिलते ही टीम को मौके पर भेज दिया था। कुछ श्वानों को टीम पकड़कर भी लाई थी। एबीसी प्रोग्राम कुछ महीनों से बंद है। जल्द ही रिव्यू कर इसे पुन: चालू करवाएं और बेहतर से बेहतर काम करने का प्रयास करेंगे।
-हेमाराम चौधरी, उपायुक्त पशु प्रबंधन