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जयपुर

इतनी पी कि अपना वाहन ही भूले, 19 साल से लेने नहीं आए

शराबी वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई का मामला: 185 एमवी एक्ट, दुर्घटना और कागजात नहीं होने पर 2436 वाहनों को किया था जब्त, थानों में सड़-गल रहे हैं

जयपुरOct 20, 2019 / 12:54 am

manoj sharma

इतनी पी कि अपना वाहन ही भूले, 19 साल से लेने नहीं आए

इतनी पी कि अपना वाहन ही भूले, 19 साल से लेने नहीं आए

जयपुर. यातायात पुलिस की सख्ती के बीच नशेड़ी वाहन चालक खुद के जब्तशुदा वाहनों को छुड़वाना ही भूल गए। जयपुर कमिश्नरेट के चारों सड़क दुर्घटना पुलिस थानों में नशेडिय़ों के जब्तशुदा 2436 दुपहिया वाहन सालों से खड़े हंै। इन वाहनों को चालक पुलिस कार्रवाई के बाद वापस छुड़वाने के लिए नहीं आए। इनमें शराब पीकर वाहन चलाने, कागजात नहीं होने और दुर्घटना के वाहन शामिल हैं। ऐसे में यातायात पुलिस के लिए इन वाहनों को थाने में रखना सिरदर्द बन गया है। 19 साल से वाहन मालिक अपने वाहन लेने ही नहीं आए।
तामील करवाने जाते हैं, तो कर देते हैं मना
पुलिस का कहना है कि थाने में खड़े मुकदमों के पुराने वाहनों के मालिकों से सम्पर्क कर जब वाहन को छुड़वाने के लिए कहा जाता है, तो मालिक लेने से मना कर देता है। नोटिस लेकर घर जाते हैं, तो वाहन मालिक पुराना वाहन होने के कारण लिखकर दे देता है कि उसे अपना वाहन नहीं लेना। मुकदमे की गाडिय़ों को वाहन मालिक इसलिए भी नहीं छुड़वाते क्योंकि आठ-दस हजार रुपए तो इंश्योरेंस करवाने, गाड़ी को सही करवाने, गाड़ी का सर्वे करवाने और कोर्ट से रिलीज करवाने में लग जाते हैं। इतनी तो गाड़ी की कीमत नहीं होती।
कई बार बिकी, इसलिए क्लेम कौन दे

पुलिस का कहना है कि पुराने मुकदमों की जब्त गाडिय़ों का इंश्योरेंस नहीं होता। अधिकतर गाडिय़ां ऐसी हैं, जिसके एक नहीं तीन-चार वाहन मालिक हैं। पहले वाहन मालिक गाड़ी बेचते समय बिना कागजों को ट्रांसफर करवाए खरीदार को बेच देते थे। वह खरीदार किसी दूसरी पार्टी को दूसरी तीसरी पार्टी को बेच देते थे। जब दुर्घटना या अन्य मामले गाड़ी जब्त करते हैं, तो गाड़ी का असली मालिक उसे इसलिए नहीं छुड़ाता क्योंकि जुर्माना देना होगा। चालक(मुल्जिम) इसलिए नहीं छुड़ाता क्योंकि गाड़ी के कागजात उसके नाम नहीं हैं। फिर भी यदि मालिक गाड़ी छुड़ाने को तैयार हो तब भी कोर्ट के निर्णय है कि बिना इंश्योरेंस गाड़ी नहीं छोड़ी जाए। दो-चार हजार रुपए खर्च करने की बजाय वह उस गाड़ी को भूलना पसंद करता है।
ढूंढते रहो असली मालिक कौन हैं
शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर कार्रवाई के दौरान 185 एमवी एक्ट में भी वाहन नहीं ले जाने का यही कारण है। यदि वाहन मालिक खुद गाड़ी चला रहा है, तो वह जुर्माना भरकर कोर्ट से गाड़ी छुड़वा लेता है। लेकिन यदि उसने किसी और को बिना कागजात ट्रांसफर किए गाड़ी बेच देता है। वह किसी अन्य को गाड़ी बेचान कर देता है। ऐसी स्थिति में यदि गाड़ी जब्त की जाती है, तो चालक गलत पता बताकर वहां से चला जाता है। आरसी मालिक के पास जब पुलिस जाती है, तो वह गाड़ी को बेचने की बात कहता है। ऐसे में असली मालिक कौन हैं, यह ढूंढते रहते हैं। ऐेसे कई जब्त वाहन थानों में आज तक खड़े हैं।
यह होना चाहिए
पुलिस के अनुसार सरकार यह आदेश निकाले कि माल खाना निस्तारण के नियमानुसार दो-तीन या इससे अधिक साल पुराने जब्त वाहनों को डिस्पोज किया जाए।

दुर्घटना थानों में जब्त वाहनों की संख्या
दुर्घटना थाना पूर्व- 705
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दुर्घटना थाना पश्चिम-707

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दुर्घटना थाना उत्तर-440

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दुर्घटना थाना दक्षिण-584

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(वर्ष 2000 से 2019 तक )

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पिछले कुछ महीनों में लगभग 500 वाहनों का डिस्पोजल हुआ है। शेष अन्य वाहनों के डिस्पोजल की भी प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
– राहुल प्रकाश, डीसीपी ट्रैफिक

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