आपदा प्रबंधन खुद लाचार ( disaster management rajasthan )
जिलों के आपदा प्रबंधन विभाग कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा बने हैं। अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रभारी है । स्थायी कर्मचारी एक एकाउंटेंट और दूसरा लिपिक है। इस विभाग को चलाने के लिए अन्य स्टाफ प्रतिनियुक्तियों पर लिया हुआ है। विशेषज्ञ और जानकारों का अभाव है। नियुक्त कार्मिक केवल मुआवजे का हिसाब-किताब रख रहे हैं।
– प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय नंबर ही नियंत्रण कक्ष
– चेतावनी की रस्म अदायगी
-अग्निशमन उपखंड मुख्यालयों पर भी नहीं, बचाने के एक्सपर्ट नहीं, प्रशिक्षण किसी को नहीं
– टेंट लगाने, क्षतिग्रस्त भवनों में रुकने, टीन चद्दर की खतरनाक स्थिति, झूलती बिजली की तारों को नहीं किया जाता ठीक
बाड़मेर: 15 मौत, 95 घायल, 100 कच्चे पक्के मकान गिरे, 3 करोड़ का नुकसान
अलवर- 13 मौत, 20 घायल
धौलपुर- 13 मौत, 50 घायल
भरपतुर -15 मौत,32 घायल
जैसलमेर- 02 घायल, 76 पशु मरे, 5 करोड़ का नुकसान
जोधपुर : 3 की मौत, 30 करोड़ का नुकसान
सीकर- चूरू- झुंझुनूं – मकानों की पट्टियां और पेड़ गिरे, होर्डिंग व टीन शेड उड़े
17 अप्रेल 2018 को राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में जोरदार अंधड़ आया। राजस्थान में 09, मध्यप्रदेश में 10 और गुजरात में 12 लोगों की मौत हो गई। इन लोगों की मदद के वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पता चला अंधड़ आपदा नहीं है, इसलिए मदद कैसे करें? इसके बाद अंधड़ को आपदा घोषित किया गया।
ये हैं 13 आपदाएं
1. अकाल 2. बाढ़ 3. भूकंप 4. चक्रवात 5. अग्नि/ आकाशीय बिजली 6. भूस्खलन 7. ओलावृष्टि 8. हिमस्खलन 9. बादल फटना 10. कीट आक्रमण 11. पाला 12. शीत लहर 13. अंधड़
सूर्य के उत्तरायण होने से उत्तर-पश्चिमी भारत पर कम दबाव क्षेत्र बन जाता है। इसके साथ पश्चिमी हवाएं शुरू हो जाती है जो ईरान पाकिस्तान से गर्म हवा के रूप में बाड़मेर जैसलमेर और बीकानेर क्षेत्र में प्रवेश करती है। थार मरुस्थल की बालू मिट्टी के कण बड़े होने और आपस में लूज होने से हवा के साथ उड़कर आंधी का रूप लेते हैं। इसकी रफ्तार 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है। इस साल भी पश्चिमी विक्षोभ के अत्यधिक सक्रिय होने की वजह से जून तक आंधी का मौसम है।
-डॉ. अमलकर, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) जोधपुर
– पेड़ काटे नहीं, लगाएं
– सीएफसी गैसों को रोकें, फ्रिज एवं एयरकंडीशनर का अधिक प्रयोग घातक
– जंगल संरक्षण की योजना बनें
देश में बड़ी तबाही (2 मई 2018 ) देश के पांच राज्यों में 124 मौतें हुई। उत्तरप्रदेश में 73, राजस्थान में 35, तेलंगाना में 08, उत्तराखंड में 06 और पंजाब में 02 मौतें हुई। उत्तरप्रदेश के आगरा में सर्वाधिक 43 मौत हुई और 51 घायल हुए।
रेगिस्तान में आधी-तूफान को रोकने का सबसे बड़ा उपाय हो सकता है ओरण-गोचर। बाड़मेर-जैसलमेर- बीकानेर जहां आंधी तूफान आ रहे हैं, वहां लाखों बीघा में ओरण-गोचर है जो पशुओं के चारागाह के रूप में सदियों से है। इनमें लाखों पेड़ है और इनको काटना पाप मानते हैं। लोक देवी-देवताओं के नाम पर इनका संरक्षण हुआ है। इन ओरण-गोचर की जमीन पर अतिक्रमण होने लगे है, जिसको रोका जाए। पशुओं के चारागाह के साथ ही यहां पेड़-पौधे लगाकर इनका पूर्ण संरक्षण हों तो राजस्थान को बहुत बड़ी आपदा से बचाया जा सकता है।
– डॉ. भुवनेश जैन, विशेषज्ञ ओरण गोचर