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पिंकसिटी में अब एजुकेशनल टूरिज्म का ट्रेंड

locationजयपुरPublished: Oct 19, 2018 08:45:43 pm

स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत शहर की स्कूलों में विजिट कर रहे हैं विदेशी स्टूडेंट्स

एजुकेशनल टयूर

एजुकेशनल टयूर

बदलते समय के साथ अब टीचिंग स्टाइल भी पूरी तरह बदल चुका है। भारी भरकम थ्यौरी की बुक्स को अब प्रैक्टिकल्स ने रिप्लेस कर दिया है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि जो हम विजुअल या प्रैक्टिकल देखते हैं, वो हमें जल्दी और ज्यादा लंबे समय तक याद रहता है। आजकल एजुकेशन के साथ विभिन्न एक्टिविटिज भी कॉमन हो रही है और इन्हीं एक्टिविटिज में से एक है एजुकेशनल ट्यूर। बच्चों को प्रैक्टिकल नॉलेज देने के लिए पहले जहां कुछ ही स्कूल्स अपने लेवल पर एजुकेशनल ट्यूर ऑर्गेनाइज करते थे, वहीं अब एजुकेशनल ट्यूर्स के ट्रेंड में भी काफी बदलाव आया है।
बढ़ते मेट्रो कल्चर और हाइटेक होते एजुकेशन पैटर्न को देखते हुए ट्रैवल एजेंसीज ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है। इन दिनों ट्रेवल एजेंसीज एजुकेशन ट्यूर ऑर्गेनाइज करते हुए स्कूलों के साथ स्पेशल पैकेज शेयर कर रही हैं। पहले स्टूडेंट्स को इस तरह की ट्रिप में केवल इंडिया में ही घुमाया जाता था, लेकिन अब एजुकेशनल ट्यूर्स में फॉरेन ट्रिप भी शामिल होने लगे हैं। स्टूडेंट्स व स्कूलों की डिमांड पर ट्यूर एजेंसी डिफरेंट पैकेज निकाल रही है, इसमें अलग-अलग ट्रिप्स अवेलेबल होते हैं।
एजुकेशनल ट्यूर्स पर ज्यादा फोकस
नए एजुकेशन स्टाइल को ध्यान में रखते हुए ट्यूर कंपनियां खास एजुकेशनल पैकेज तैयार कर रही हैं। पैकेज में स्कूल्स व स्टूडेंट्स के हिसाब से फीस ली जाती है। स्कूल लेवल पर देश में घूमाने के लिए एक स्टूडेंट्स का करीब 7 हजार रुपए से पैकेज शुरू होता है, वहीं फॉरेन का ट्यूर पैकेज करीब 20 रुपए से शुरू होता है। ये पैकेज कस्टमाइज्ड हैं, जो स्कूल और उनके करिकुलम एक्टिविटी के हिसाब से बनाए जाते हैं। ट्रेवल कंपनियां इसे स्कूल के हिसाब से तैयार करती हैं। फिजिक्स को बेहतर समझने के लिए नासा जैसे टूर और हिस्ट्री के लिए साउथ अफ्रीका जैसी जगहों को पंसद किया जा रहा है।
स्टूडेंट्स के हिसाब से डिजाइन होते हैं पैकेज
वैसे तो कंपनियों का टूर प्लान फिक्स रहता है, जिसमें वे एक स्कूल से करीब 50 से 100 बच्चों के ट्रिप के लिए ट्यूर ऑर्गेनाइज कराते हैं। लेकिन ऐसे ही ट्यूर्स को बढ़ावा देने के लिए ट्रैवल कंपनियां स्कूल और कॉलेजों को कई तरह के ऑफर्स भी दे रही हैं। ये ऑफर ट्रिप और डेस्टिनेशन के हिसाब से अगल-अलग होते हैं। एजुकेशन टूरिज्म के जरिए बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ मस्ती भी कर लेते हैं।
एजुकेशनल ट्रिप और एडवेंचर ट्यूर
एजुकेशनल ट्यूर्स भी दो टाइप के होते हैं, पहला एजुकेशनल ट्रिप और दूसरा एडवेंचर ट्यूर। एजुकेशनल ट्यूर्स में जहां स्टूडेंट्स को इंडस्ट्रीयल विजिट, बॉटनिकल गार्डन, सॉफ्टवेयर इंडस्ट्रीज और नासा जैसी जगहों का विजिट कराया जाता है, जिससे उन्हें सब्जेक्ट और इंटरेस्ट के अनुसार नॉलेज मिल सके। वहीं एडवेंचर ट्यूर्स में अम्यूजमेंट पार्क, वाइल्ड लाइफ सेंचुरीज और रॉक क्लाइम्बिंग कराई जाती है।
स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल नॉलेज देने के लिए एजुकेशनल ट्यूर्स अच्छा ऑप्शन है। इससे स्टूडेंट्स स्टडी से बोर नहीं होते। इन दिनों शहर में भी कई विदेशी स्कूलों के बच्चे ‘स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम’ के तहत शहर की स्कूलों में विजिट कर रहे हैं।
लक्ष्मी कंवर चूंडावत, टीचर, एमजीडी स्कूल
स्कूल्स और स्टूडेंट्स की संख्या और डिमांड को देखते हुए एजुकेशनल ट्यूर्स डिजाइन किए जाते हैं। इन दिनों बड़े स्कूलों के साथ कुछ छोटे स्कूल भी इन ट्यूर्स में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। एजुकेशनल ट्यूर्स सामन्यता 7-8 हजार से शुरू हो जाते हैं।
प्रतीक सिंघल, डिवोनिक होलिडेज
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