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जयपुर

किताबी ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है मूल्यपरक शिक्षा : पित्रे

प्रसिद्ध शिक्षाविद् बी जी पित्रे से विशेष बातचीत

जयपुरAug 09, 2022 / 08:20 pm

pushpendra shekhawat

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जयपुर। शिक्षा दो प्रकार की होती है। एक वह जो जिससे हमें किताबी ज्ञान मिलता है, परीक्षा पास करते हैं। दूसरा, वह जो हमारे भीतर मौजूद ज्ञान को बाहर निकालती है। हर इंसान में प्रेम, शांति, खुशी, करुणा, ईमानदारी आदि गुण मौजूद हैं। शिक्षा इस ज्ञान को बाहर निकालने वाली होनी चाहिए। शिक्षा का केंद्र बिंदु भी यही है। यह कहना है प्रसिद्ध शिक्षाविद् बी जी पित्रे का। पित्रे ने जयपुर दौरे के दौरान राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत की।

पित्रे ने कहा कि आजकल किताबी ज्ञान पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। सालभर तक पढ़ाई कर ली, 90-95 प्रतिशत अंक भी आ गए मगर परीक्षा के बाद सब भूल गए। शिक्षक, माता-पिता सभी इसी किताबी ज्ञान पर फोकस करते हैं। इस किताबी ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है मूल्यपरक शिक्षा। साक्षरता या किताबी ज्ञान बढ़ रहा है, ऐसे में प्रेम-शांति भी बढ़नी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। कारण, ये किताबी ज्ञान और मूल्यपरक शिक्षा दोनों अलग है।
इस अंदर के ज्ञान को बाहर निकालने की कला बहुत कम लोगों को आती है। जबकि इस ज्ञान की आवश्यकता पूरी जिंदगी रहती है। हजारों वर्षों तक भारत में भीतरी शिक्षा को महत्व दिया गया। पिछले एक-डेढ शताब्दी से बाहरी शिक्षा महत्वपूर्ण हो गई है। अब हमें मूल्यपरक शिक्षा के लिए रणनीति बनानी होगी।

दृष्टि बदलेगी तो दृष्टिकोण भी बदलेगा
पित्रे ने कहा कि बच्चों को मूल्यपरक शिक्षा देने के लिए उनके सामने आदर्श प्रस्तुत करने होंगे। आदर्श बने उनके शिक्षक और माता-पिता। शिक्षक और माता-पिता जैसा आचरण करेंगे, वैसा ही बच्चे करेंगे। बच्चों को सलाह नहीं दे बल्कि दैनिक गतिविधियों में शामिल करे। दृष्टि बदलेगी तो दृष्टिकोण भी बदलेगा। उन्होंने शिक्षकों के लिए कहा कि शिक्षकों में समर्पण, जुनून होना चाहिए। शिक्षकों के एजुकेशन सिस्टम को भी बदलना होगा। अभी समाज में शिक्षकों का आदर नहीं है। कुछ नहीं कर पाए, इसीलिए शिक्षक बने, यह नहीं होना चाहिए। शिक्षकों बनना चाहते हैं, देश का भविष्य सुधारना चाहते हैं, इसीलिए शिक्षक बनें। शिक्षकों का वेतन भी अच्छा होना चाहिए।

ऑनलाइन शिक्षा से शिक्षक-बच्चों के बीच हुई दूरी
पित्रे ने ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था पर कहा कि इससे जानकारी तो मिल सकती है मगर प्रेरणा नहीं। ऑनलाइन शिक्षा से शिक्षक-बच्चों के बीच दूरी बन गई है। शिक्षक व बच्चों के बीच एक अलग प्रकार का बॉन्ड होता है। बच्चे शिक्षकों से प्रेरणा लेते हैं। इसके लिए बच्चों व शिक्षकों का आमने-सामने होना जरुरी है। ऑनलाइन शिक्षा कभी भी ऑफलाइन शिक्षा की जगह नहीं ले सकती है।

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