प्रदेश में भी ईद का पर्व बड़ी खुशी के साथ मनाया जाता है। मस्जिदों और ईदगाहों में मुस्लिम समाज के लोग ईद की नमाज अदा करते है और उसके बाद एक—दूसरे के गले लगकर ईद की मुबारकबाद देते है।
रमजान के महीने में रोजेदारों ने पूरे महीने के रमजान रखने और इबादत करने की खुशी मेंं ईद का त्यौहार मनाया जाता है। माहे रमजान में मुस्लिम समाज के लोग फितरा और सदका देकर गरीबों की मदद करते है। ईद के दिन जो नमाज पढी जाती है,वह रोजेदारों का अल्लाह को शुक्रिया होता है कि उन्हें अल्लाह ने रोजा रखने की तौफिक अता फरमाई। ईद अल्लाह के द्वारा उसके बंदो को दिया हुआ तोहफा होता है क्योंकि बंदो ने रमजान के महीने में रोजे रखे और अल्लाह की इबादत की।
ईद उल फितर को मीठी ईद भी कहते है। क्योंकि इस दिन सेवइयां और खीर बनाई जाती है। जिसे मुस्लिम भाई पूरे दिन खुशी से खाते है। मुस्लिम ईद के दिन रिश्तेदार और परिचित लोगों को बुलाकर खीर व सेवइयां खिलाते है।
रमजान माह में देते है सदका और फितरा
मुस्लिम लोग रमजान के महीने में सदका और फितरा देकर गरीबों की मदद करते है। इस महीने मुस्लिम अपने हक का सदका और फितरा अदा करते है। रमजान के महीने में कुरान शरीफ का आसमान से धरती पर अवतार हुआ था। इसलिए इस मुबारक महीने में सबसे ज्यादा कुरान शरीफ पढ़ी जाती है। मुस्लिम लोग रमजान के पाक महीने में इबादत करते है। इस महीने में मुस्लिम लोग तरावीह,रोजे और इबादत करके नेकी कमाते है।
ईद का त्यौहार रमजान के आखिरी रोजे के दिन चांद दिखने के साथ मनाया जाता है। मुस्लिम लोग रमजान के महीने में ही ईद की तैयारी शुरू कर देते है। रमजान के आखिरी अरसे से ही तैयारी करना शुरू कर देते है। ईद के दिन नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करते है,और एक—दूसरे को गले लगाकर सब गिले शिकवे दूर करके ईद की मुबारकबाद देते है।