वित्त मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी में चुनावी बांड योजना को अधिसूचित किया था। इसे नकद चंदा देने के विकल्प के रूप में पेश किया गया है।
एसबीआइ को चुनावी बांड जारी करने और उनके बदले नकदी देने के लिए अधिकृत किया गया है। एसबीआइ एक से दस नवंबर के बीच अपनी 29 अधिकृत शाखाओं के जरिए इस बांड की बिक्री करेगा।
क्या है बॉन्ड
चुनाव लडऩे के लिए पैसे की जरूरत होती है। जिसे आर्थिक जगत पूरा करता है।
इसे खरीदने के लिए खरीददार को अपनी पहचान देनी पड़ेगी, लेकिन बांड पर उसका नाम नहीं लिखा होगा।
राजनीतिक दलों को इसे अपने खातों में ही जमा कराना पड़ेगा और सालाना रिटर्न में जानकारी देनी होगी।
यह बांड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख व 1 करोड़ रुपयों के होते हैं।
नाम गुप्त रहेगा।
पहली शर्त यह है कि केवल उसी दल को यह चंदे के रूप में मिलेगा जिन्हें पिछले चुनाव में 1 फीसदी या उससे ज्यादा मत मिले हों।
चुनाव लडऩे के लिए पैसे की जरूरत होती है। जिसे आर्थिक जगत पूरा करता है।
इसे खरीदने के लिए खरीददार को अपनी पहचान देनी पड़ेगी, लेकिन बांड पर उसका नाम नहीं लिखा होगा।
राजनीतिक दलों को इसे अपने खातों में ही जमा कराना पड़ेगा और सालाना रिटर्न में जानकारी देनी होगी।
यह बांड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख व 1 करोड़ रुपयों के होते हैं।
नाम गुप्त रहेगा।
पहली शर्त यह है कि केवल उसी दल को यह चंदे के रूप में मिलेगा जिन्हें पिछले चुनाव में 1 फीसदी या उससे ज्यादा मत मिले हों।