वहीं कांग्रेस की बात करें तो 90 निकायों में चुनाव प्रचार और चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी स्थानीय विधायकों को दी गई है। विधायकों पर पार्टी को जीत दिलाने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा संख्या में बोर्ड बनाने की जिम्मेदारी भी है। दरअसल 90 निकायों में कांग्रेस के 22 विधायकों और 7 मंत्रियों की साख दांव पर लगी हुई है। ऐसे में अपने-अपने क्षेत्र की निकायों में जीत के लिए विधायक जी-जान से प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में जुटे हैं।
बागियों से निपटने के लिए मैदान में उतरे विधायक
सूत्रों की माने को निकाय चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों को भाजपा और अन्य दलों के प्रत्याशियों के साथ-साथ बागियों से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। कांग्रेस के बागियों द्वारा कांग्रेस वोटबैंक में सेंध लगाने की आशंका के चलते कांग्रेस विधायक प्रत्याशियों के समर्थन में लगातार जनसभाएं, नुक्कड़ सभाएं और डोर टू डोर कैंपेन करते नजर आ रहे हैं। साथ ही विधायक मतदाताओं से क्षेत्र के विकास के लिए कड़ी से कड़ी जोड़ने और गहलोत सरकार के दो साल के कामकाज और उपलब्धियों के आधार पर वोट मांग रहे हैं।
50 से 36 में बना था कांग्रेस का बोर्ड
दरअसल हाल ही में 50 निकायों में हुए चुनाव में 36 निकायों में कांग्रेस का बोर्ड बनाने में कांग्रेस के 16 विधायकों और चार मंत्रियों ने अहम भूमिका निभाई थी। तो वहीं अब 90 निकायों में जीत का दारोमदार 23 विधायकों और 7 मंत्रियों पर है। हालांकि इनमें एक विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का हाल ही में निधन हो गया है।
इन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
प्रदेश के 20 जिलों के 90 निकायों में होने वाले चुनाव में गहलोत सरकार के जिन 7 मंत्रियों की साख दांव पर है, उनमें गोविंद सिंह डोटासरा, सालेह मोहम्मद, रघु शर्मा, अशोक चांदना, सुखराम विश्नोई, भंवर सिंह भाटी और महेंद्र चौधरी हैं।
इन जिलों में हो रहे हैं निकाय चुनाव
प्रदेश के जिन 20 जिलों में 90 निकायों के चुनाव होने हैं, उनमें अजमेर, बांसवाड़ा, बीकानेर, भीलवाड़ा, बूंदी, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, नागौर, पाली, राजसमंद, सीकर, टोंक और उदयपुर हैं। यहां 1 नगर निगम, 9 नगर परिषद और 80 नगर पालिकाओं में चुनाव 28 जनवरी को होने हैं।