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जयपुर

निकाय प्रमुख के चुनाव का खुलासा जल्द

प्रदेश में निकाय प्रमुख का चुनाव जनता करेगी या पार्षदों के जरिए कराया जाएगा। इसका खुलासा अब होने ही वाला है।

जयपुरOct 09, 2019 / 02:44 pm

rahul

जयपुर। प्रदेश में निकाय प्रमुख का चुनाव जनता करेगी या पार्षदों के जरिए कराया जाएगा। इसका खुलासा अब होने ही वाला है। निकाय के चुनाव नवंबर में होने है। कुल 52 निकायों में अभी चुनाव होगा। निकाय प्रमुखों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव को लेकर सरकार की ओर से गठित की गई धारीवाल कमेटी रिपोर्ट जल्द ही अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपने वाली है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही तय किया जाएगा कि निकाय प्रमुखों के चुनाव सीधे कराए जाएं या फिर अप्रत्यक्ष तौर पर।
चुनाव के तरीके को लेकर स्वायत्तशासन मंत्री धारीवाल ने जन प्रतिनिधियों और कांग्रेस नेताओं से विचार विमर्श किया है और उनसे फीडबैक लिया है। धारीवाल पिछले एक माह से इसको लेकर अपनी ग्राउंड रिपोर्ट ले रहे हैं कि अगर सरकार निकाय प्रमुखों के चुनाव सीधे कराती है तो इसका कांग्रेस पार्टी और सरकार को कितना फायदा मिलेगा या कितना नुकसान होगा। सूत्रों के अनुसार यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल जहां अपने स्तर पर ग्राउंड रिपोर्ट ले रहे हैं तो वहीं इसके लिए सर्वे टीमों से भी अलग रिपोर्ट ली जा रही है।
बताया जाता है कि धारीवाल कमेटी की रिपोर्ट और सर्वे रिपोर्ट के मिलान के बाद ही फाइनल रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी। धारीवाल और अन्य की सर्वे रिपोर्ट में क्या लिखा है ये फिलहाल सामने नहीं आया है। अब देखना ये है कि सरकार को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट में कमेटी निकाय प्रमुखों के चुनाव को लेकर क्या रिपोर्ट सौंपती है।
आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने, और विपक्ष के राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों के बाद प्रदेश में बदले राजनीतिक हालातों के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर ही निकाय प्रमुखों के चुनाव सीधे नहीं कराने की मांग उठी थी। जिसके बाद निकाय प्रमुखों के चुनाव सीधे कराने या नहीं कराने का फैसला लेने के लिए सरकार ने धारीवाल कमेटी गठित की थी। महापौर और सभापतियों के सीधे चुनाव कराए जाने का वादा कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में किया था।
सत्ता प्राप्ति के बाद सरकार ने इसके लिए एक्ट में बदलाव कर महापौर-सभापति के सीधे चुनाव कराए जाने का फैसला लिया था। अब यदि ये फैसला पलटा जाता है तो सरकार को अध्यादेश के जरिए संशोधन करना होगा, क्यों कि इतनी जल्दी विधानसभा सत्र बुलाकर संशोधन विधेयक पारित नहीं कराया जा सकता है। इसके लिए कई तैयारियां करनी होती है। अब देखना ये है कि सरकार किस तरह से पार्टी को मैदान में उतारेगी और उसका क्या नतीजा निकलेगा।
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