scriptचुनावी साल भाजपा प्रदेश अध्यक्षों के लिए बन रहा परेशानी का हाल | Election year is becoming a problem for BJP state presidents | Patrika News
जयपुर

चुनावी साल भाजपा प्रदेश अध्यक्षों के लिए बन रहा परेशानी का हाल

– 15 साल से भाजपा को चुनावी साल में करना पड़ रहा प्रदेश अध्यक्ष में बदलाव
– कभी संघ से तो कभी भाजपा नेताओं से नहीं बैठ पाती प्रदेश अध्यक्ष की- गुटबाजी बनता है सबसे बड़ा कारण

जयपुरMar 25, 2023 / 01:00 pm

Arvind Singh Shaktawat

joshi.jpg

c p joshi

अरविन्द सिंह शक्तावत

जयपुर. प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव में मात्र आठ माह बचे हैं, लेकिन भाजपा को इस बार भी चुनाव से ठीक पहले प्रदेश अध्यक्ष बदलना पड़ा है। गुटबाजी दूर करने और सामाजिक संतुलन बनाने की राजनीतिक मजबूरी के चलते भाजपा ने चित्तौड़गढ़ सांसद सी.पी. जोशी को अध्यक्ष बनाया है और सतीश पूनिया को पद से हटाया है, लेकिन यह पहली बार नहीं है। पन्द्रह साल से भाजपा को चुनावी साल में आरएसएस, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में तालमेल बैठाने के लिए अध्यक्ष बदलना पड़ रहा है। चुनाव आते-आते प्रदेश अध्यक्ष इतने विवादों में घिर जाते हैं कि पार्टी उन्हें हटाकर बैलेंस करने की कोशिश करती है। 2008 से शुरू हुई यह परम्परा पार्टी खत्म नहीं कर पाई है।
चुनावी साल में कौन हटा और कौन बना


महेश शर्मा- ओम प्रकाश माथुर

भाजपा ने वर्ष 2006 में पार्टी के वरिष्ठ नेता महेश शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। संघ और भाजपा नेताओं के बीच तालमेल बनाने की दिशा में महेश को अध्यक्ष बनाया जाना महत्वपूर्ण कदम बताया गया था। भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है, लेकिन विवाद इतना बढ़ा कि वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें अध्यक्ष पद से हटाना पड़ा। उनकी जगह ओम प्रकाश माथुर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। ओम प्रकाश माथुर के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए ही वर्ष 2008 में विधानसभा और 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ा गया।

अरुण चतुर्वेदी- वसुंधरा राजे
भाजपा नेता अरुण चतुर्वेदी को वर्ष 2009 में प्रदेश अध्यक्ष पद सौंपा गया था। वे अपना कार्यकाल भी पूरा कर चुके थे और वर्ष 2013 विधानसभा चुनावी साल में भी अध्यक्ष बने हुए थे, लेकिन संघ और वसुंधरा राजे खेमे के बीच तालमेल नहीं बैठा पाने के चलते फरवरी, 2013 में उनको भी पद से हटना पड़ा था। चतुर्वेदी को हटा कर वसुंधरा राजे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।

अशोक परनामी- मदन लाल सैनी
प्रदेश में वर्ष 2013 में भाजपा की सरकार बनी। वर्ष 2014 में अशोक परनामी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। परनामी लगातार अध्यक्ष की कुर्सी पर बने रहे, लेकिन वर्ष 2018 आते-आते उन पर भी तालमेल नहीं बैठा पाने के आरोप लगे। परनामी पर आरोप लगे कि वे सभी गुटों को साथ लेकर नहीं चल पा रहे। ऐसे में दिल्ली को वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव से ठीक छह माह पहले अध्यक्ष बदलना पड़ा। परनामी की जगह मदन लाल सैनी को चुनावी साल में अध्यक्ष बनाया गया।
सतीश पूनिया- सी.पी. जोशी

– मदन लाल सैनी के निधन के बाद पार्टी ने सतीश पूनिया को सितंबर, 2019 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया। तीन माह बाद उनका तीन साल के लिए निर्वाचन भी हुआ। तीन साल का कार्यकाल दिसंबर 2022 में पूरा हो गया, लेकिन वे पद पर बने रहे। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि अन्य नेताओं की नाराजगी को नजरअंदाज कर उन्हें विधानसभा चुनाव तक अध्यक्ष बनाया रखा जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अन्य नेताओं की नाराजगी पूनिया पर भारी पड़ी और सांसद सी.पी. जोशी को अध्यक्ष बना कर पार्टी ने एक बार फिर संतुलन बनाने की कोशिश की है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो