बताया जा रहा है कि लडऩे के बाद एक हथिनी महल की और चली गई तो जलेब चौक में जाने के बाद वहां भी भगदड़ मच गई। जलेब चौक में और भी हाथी मौजूद थे जिन्हें भी महावतों ने कंट्रोल किया और एक साइड ले गए। जब हथिनियां आपस में भिड़ी तब दोनों पर ही विदेशी सैलानी सवार थे। इस दौरान उन्होंने बड़ी मुश्किल से कूद कर अपनी जान बचाई।
जयपुर शाही ठाठ-बाट के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इसी ठाठ-बाट और शाही रौनक को महसूस करने के लिए वर्षभर यहां हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं। जयपुर का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थल आमेर का महल अपनी अनुपम खूबसूरती के साथ ही हाथी सवारी के लुत्फ के लिए भी याद किया जाता है। आमेर महल में हाथियों की बड़ी तादाद है। जयपुर के राजाओं की सेना और सेवा में बड़ी संख्या में आमेर में हाथी और उनके पालक मौजूद थे। मावठे में हाथी अठखेलियां करते और खुले प्राकृतिक माहौल में विचरण करते थे। आमेर महल तक पहुंचने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी चढ़ाई के रास्ते पर हाथी सवारी को विदेशी पर्यटक खूब एंजॉय करते हैं। हाथी पर बैठकर राजसी अंदाज से आमेर की खूबसूरत पहाडियों, जलाशय, शहर और महल के विहंगम दृश्य का आनंद लेते हुए मंथर गति से महल पहुंचना अपने आप में खूबसूरत अनुभव होता है।