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जयपुर

इन्फ्रासोनिक ध्वनि संकेतों के जरिए बातचीत करते हैं हाथी

शांत होकर सुनते हैं इन्फ्रासोनिक ध्वनि संकेतखतरे को भांपकर भेजते हैं संदेश

जयपुरDec 19, 2019 / 07:50 pm

Suresh Yadav

इन्फ्रासोनिक ध्वनि संकेतों के जरिए बातचीत करते हैं हाथी

इन्फ्रासोनिक ध्वनि संकेतों के जरिए बातचीत करते हैं हाथी

जयपुर।
यह तो हम सब जानते ही हैं कि हाथी चिंघाड़ते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों की हाथियों के चिंघाडऩे को लेकर यही धारणा है कि वो आपस में बातें करने के लिए ही ऐसा करते हैं, पर वास्तव में ऐसा नहीं है, हाथी चिंघाड़ते हैं सिर्फ अपनी उत्तेजना शांत करने के लिए।
… तो अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर हाथी बात कैसे करते हैं।
हाथियों के बातचीत के तरीके को जानने के लिए जीव वैज्ञानिकों ने लम्बे समय तक उनके क्रियाकलापों पर नजर रखी।
जंगल में हाथियों का लम्बे समय से निरीक्षण करते हुए जीव विज्ञानी ने पता लगाया कि चलते चलते हाथियों का झुंड अचानक रुक जाता है । हाथियों का यह झुंड बिल्कुल शांत होकर अपने कान खड़े कर किसी एक दिशा की ओर मोड़कर दूर से आने वाली आवाज सुनने का प्रयास करते दिखते हैं।
यही नहीं कई बार झुंड में बिखरे हाथी मैदान में घूमते हुए अचानक रुक जाते हैं और शांत खड़े रहते हैं। जैसे उन्हें कोई अज्ञात संदेश दे रहा हो और फिर अचानक एक साथ ऐसे चल पड़ते हैं, मानो उन्हें इसके लिए भी कोई संदेश मिला हो।
हाथियों पर शोध कर चुकी कार्नेन विश्वविद्यालय के जैव ध्वनि कार्यक्रम की शोधकर्ता कैटी पायन के मुताबिक जिस प्रकार समुद्र में व्हेल या डॉल्फिन पराश्रव्य ध्वनि के माध्यम से सैकड़ों किलोमीटर दूर तक आपसी संचार करती है, ठीक उसी तरह हाथी भी जमीन पर इन्फ्रोसोनिक ध्वनि के जरिए आपस में बातें करते हैं। कैटी के अनुसार अभी तक हाथियों द्वारा विभिन्न परिस्थिति में निकाले गए 31 प्रकार के इन्फ्रोसोनिक संकेतों की पहचान की जा चुकी है। कैटी बताती है कि हाथियों का परिवार मातृ सत्तात्मक होता है और पूरा समूह झुंड की सबसे बूढ़ी व अनुभवी मादा के दिशा निर्देशों पर चलता है, जो करीब 5 मील दूर से भी अपने झुंड के हाथियों को न केवल खतरे से आगाह करते हैं बल्कि उनके प्रवास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही नहीं, हाथियों के प्रजनन में भी ये संकेत सहायक होते हैं। हथिनी दो वर्ष में तीन दिन े लिए ही प्रजनन के योग्य होती है और तब विशेष इन्फ्रोसोनिक ध्वनि संकेतों के जरिए ही वो दूर-दूर तक नर हाथियों तक संकेत पहुंचाती है, जिसके बाद नर हाथी भी उसी प्रकार के संकेतों के जरिरए हथिनी को जवाब देते हैंं और मादा के करीब पहुंचकर उस पर अपने अधिकार के लिए आपस में लड़ते हैं। जो जीतता है मादा पर उसी का अधिकार होता है।
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