scriptआपात सेवाएं देने वाले खुद आपात स्थिति में | Emergency services themselves in emergency | Patrika News
जयपुर

आपात सेवाएं देने वाले खुद आपात स्थिति में

प्रदेश में आपात सेवाएं (Emergency services) देने वाले कई कार्मिक वेतन नहीं मिलने (No salary) से खुद ‘आपात स्थितिÓ में पहुंच गए हैं। कोटा, उदयपुर, बांसवाड़ा-डूंगरपुर और प्रतापढ़ जिले में 108,104 और बेस एम्बुलेंस (108,104 and base ambulance) सेवाएं दे रहे कार्मिक दो माह से वेतन नहीं मिलने के कारण वित्तीय संकट की स्थिति में पहुंच गए।

जयपुरJan 28, 2020 / 12:30 am

vinod

आपात सेवाएं देने वाले खुद आपात स्थिति में

आपात सेवाएं देने वाले खुद आपात स्थिति में

जयपुर। प्रदेश में आपात सेवाएं (Emergency services) देने वाले कई कार्मिक वेतन नहीं मिलने (No salary) से खुद ‘आपात स्थितिÓ में पहुंच गए हैं। कोटा, उदयपुर, बांसवाड़ा-डूंगरपुर और प्रतापढ़ जिले में 108,104 और बेस एम्बुलेंस (108,104 and base ambulance) सेवाएं दे रहे 400 से ज्यादा कार्मिक दो माह से वेतन नहीं मिलने के कारण वित्तीय संकट की स्थिति में पहुंच गए हैं। आठ-दस हजार की तनख्वाह पर आपात परिस्थितियों में दौड़भाग कर रहे ये कार्मिक दो से वेतन का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोई संतोषप्रद जवाब नहीं मिल रहा। सेवा संचालक जयपुर की फर्म में फंड की आवक घटने से बताई जा रही इस समस्या से से कर्मचारी अपने परिवार के गुजारे को लेकर मुश्किल में हैं।
एंबुलेंस कार्मिकों के अनुसार अकेले बांसवाड़ा में इनकी 50 गाडि़यां हैं, जिनमें से पांच बंद पड़ी है। 45 गाडि़यों पर ईएमटी और पायलट की 12-12 घंटे की ड्यूटी है। इस हिसाब से 180 कार्मिक यहां लगातार सेवारत हैं। कार्मिकों का कहना है कि वैसे तो तनख्वाह का झमेला लंबे समय से है, जबकि दो-तीन महीने में एकमुश्त पैसा आता है। कई कर्मचारियों को अक्टूबर में दिवाली पर वेतन मिला। उसके बाद से बाकी है। यही हाल डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिले में है। तीनों जिलों में कुल 110 गाडि़यां वर्तमान में संचालित हैं, जिन पर 400 से ज्यादा कर्मचारी ड्यूटी दे रहे हैं और सभी वेतन संकट से परेशान हैं।
दूसरी ओर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ के प्रभारी व प्रोग्राम मैनेजर शब्बीर हुसैन का कहना है कि तीन नहीं, दिसंबर का वेतन ही बाकी है। सरकार बदलने के बाद अधिकारी भी बदल गए, जिससे फंड के फ्लो में कमी आई और वेतन भुगतान नहीं हो पाया। वैसे जीवीके ईएमआरआई, जयपुर की ओर से सुपरवाइजरी स्टाफ को भले ही ज्यादा देर हो जाए, लेकिन ईएमटी और पायलट के वेतन को प्राथमिकता दी जाती है। वेतन का भुगतान जल्द कराने का प्रयास किया जाएगा।
यह मिलता है वेतन

कार्मिकों के अनुसार ईएमटी की ग्रोस सैलेरी 10,600 रुपए है, जिनमें कटौती के बाद 9300 रुपए हाथ में आते हैं। इसी तरह पायलट की तनख्वाह करीब 9000 रुपए है, जिसमें कटौती होती है। यह मामूली वेतन भी दो-तीन माह के अंतराल में आने से घर चलाना मुश्किल हो रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
12 घंटे बाद घर जाने का संकट, इसलिए देते हैं 24 घंटे की ड्यूटी

इन दिनों हालात गंभीर इसलिए भी है कि जेब में पैसे नहीं होने से शहर के आसपास के गांवों में रहने वाले ईएमटी, पायलट सुबह 8 से रात 8 बजे तक ड्यूटी के बाद घर जाने में भी असहज महसूस कर रहे हैं। एेसे में वे गुजारिश कर 24-24 घंटे ड्यूटी कर अगला दिन ब्रेक ले रहे हैं।
उदयपुर में 160 कार्मिक वेतन से महरूम
जीवीकेईएमआरआई कंपनी से जुड़े एम्बुलेंसकर्मी पिछले दो माह से वेतन को तरह रहे हैं। एनएचएम यानी नेशनल हैल्थ मिशन की ओर से वेतन में तीन प्रतिशत कटौती नहीं करने के लिए आदेश जारी किए गए हैं। राजस्थान सरकार यह राशि फिलहाल हैदराबाद मुख्यालय के लिए जारी करेगी। इसके बाद ये राशि जयपुर से जारी होगी।
कोटा में एंबुलेंस चालकों को दो माह से नहीं मिल रही तनख्वाह
कोटा जिले में 108, 104 व बैस एम्बुलेंस कर्मियों को पिछले दो माह से तनख्वाह नहीं मिल रही है। कोटा में करीब 100 से अधिक कार्मिक है। जिन्हें तनख्वाह नहीं मिली है। कर्मचारियों ने बताया कि एेसे में घर चलाना मुश्किल हो रहा है। संबंधित कम्पनी को अवगत करा चुके है, लेकिन हर बार प्रोसेस में मामला होने की बात कहकर टाल रही है।

सरकार से फंड नहीं मिलने से रुका वेतन

दो नहीं, एक महीने का वेतन बकाया है। नवंबर का भुगतान हो चुका है, जिन कर्मचारियों को वह नहीं मिला, वे सीधे प्रबंधन से संपर्क कर सकते हैं। सरकार से आगे फंड नहीं मिलने से दिसंबर का वेतन रुका है। वार्ता चल रही है। फंड मिलते ही तीन-चार दिन में भुगतान हो जाएगा।
भानु सोनी, राज्य प्रवक्ता, जीवीके ईएमआरआई, जयपुर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो