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जयपुर

अतिक्रमण की दीवारें अमृत पीने नहीं देतीं

प्रभावशाली रोक रहे पानी की राह… फार्म हाउस, विश्वविद्यालय, रिसोर्ट बने बाधा
विभागों ने देखे कब्जे, मगर नहीं की कार्यवाई

जयपुरMar 13, 2019 / 02:12 pm

neha soni

 Ramgarh Dam
शरद विश्वास कुमार

जयपुर. रामगढ़ बांध के पानी की राह में मुख्य रूप से प्रभावशाली लोग ही बाधा बन रहे हैं। राजस्थान पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया कि इन लोगों के खिलाफ हाइकोर्ट की ओर से दिए गए निर्देश भी बेअसर दिखाई दे रहे हैं। बहाव क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण अब भी बरकरार हैं।
हाइकोर्ट को भेजी सर्वे रिपोर्ट में विभागों ने अतिक्रमण, अन्य खामियां तो मानीं लेकिन कार्रवाई नहीं की। ऐसे में रामगढ़ बांध में नदियों और इनकी सहायक नदियों के मार्ग में प्रभावशाली लोगों के फार्म हाउस-रिसोर्ट खड़े मुंह चिढ़ा रहे हैं। इनके कारण नदियों में आने वाले पानी के बहाव की दिशा ही बदल गई है। गौरतलब है कि रामगढ़ बांध में मुख्य रूप से बाणगंगा, ताला नदी और सहायक नदियों से पानी आता है।

निजी विवि सब पर भारी
दिल्ली रोड पर चंदवाजी के पास स्थित निजी विश्वविद्यालय ने तो तमाम सरकारी नियमों को ताक पर रखकर जमकर अतिक्रमण कर रखा है। इस विवि ने कब्जा कर खेल मैदान, पार्किंग सहित अन्य निर्माण कर लिए हैं। ऐसे में बहाव क्षेत्र में आने वाला पानी निर्धारित मार्ग पर नहीं आ पा रहा है।
हाईकोर्ट ने ध्वस्त कराए थे निर्माण
इस निजी विवि में नदी के बहाव क्षेत्र में बने हॉस्टल व अन्य निर्माणों को हाइकोर्ट के निर्देश पर ध्वस्त किया गया था। वे निर्माण तो ध्वस्त हो गए लेकिन विवि ने अब भी बहाव क्षेत्र के बड़े हिस्से पर अतिक्रमण कर रखा है। इनमें खेल का बड़ा मैदान, पार्किंग प्रमुख है। पौधारोपण के नाम पर भी बहाव क्षेत्र के बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा किया हुआ है।
रिसोर्ट बनाया, फार्म हाउस के लिए भूखंड काटे
दिल्ली रोड पर ही एमिटी विश्वविद्यालय के सामने चक में एक रसूखदार ने रिसोर्ट बना रखा है। उसमें ट्री हाउस के नाम पर महंगी दर पर कमरे दिए जाते हैं। इन कमरों से जमकर कमाई की जा रही है। इसी जगह फार्म हाउस के लिए जमीनें बेची जा रही हैं, जिस पर प्रशासन की अब तक नजर नहीं पड़ी है। गौरतलब है कि कुछ साल पहले अतिवृष्टि के दौरान इस रिसोर्ट में पानी भर गया था।
आमजन का रास्ता रोका
चक में रसूखदार के रिसोर्ट की ओर जाने वाला मार्ग आम रास्ता है। उस पर गेट लगाकर आमजन के आने-जाने पर रोक लगा रखी है। गेट पर गार्ड तैनात रहते हैं, जो रिसोर्ट की बुकिंग हो तो ही आगे जाने देते हैं। मार्ग में पगडंडी वाले रास्ते के सहारे पूर्व में पानी की आवक होती रही है लेकिन वहां भी दीवार बनाकर पानी का रास्ता रोक दिया गया है। इस जगह पानी का भराव होने पर मेहमानों के नौका विहार और तैरने की व्यवस्था की जाती है।
कॉलोनी बनाने का प्रयास
दिल्ली रोड पर एक निजी कंपनी ने बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण कर कॉलोनी बनाने का भी प्रयास किया। उसने मुख्य मार्ग पर बाकायदा कार्यालय खोलकर जमीन बेचने की कवायद की। इसके लिए बहाव क्षेत्र में पिलर लगाकर प्लॉट काट दिए। फिलहाल इस पर अभी तक अन्य निर्माण नहीं हुआ है लेकिन जमीन पर अतिक्रमण अब भी बरकरार है।
ताला व चरणवास में भी अतिक्रमण
दिल्ली रोड से ताला और चरणवास गांव की ओर बहाव क्षेत्र में फार्म हाउस बनने के साथ अवैध खेती भी हो रही है। इन फार्म हाउस के लिए बहाव क्षेत्र में सडक़ बनाने की कवायद भी की जा रही है। इन गांवों में हाइकोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी ने पूर्व में दौरा भी किया और कई अवैध निर्माण ध्वस्त कराए लेकिन स्थिति अब भी जस की तस है।
बहाव क्षेत्र में शूटिंग
हाइकोर्ट के सख्त निर्देश हैं कि नदियों के बहाव क्षेत्र में कोई गतिविधि नहीं की जाए। लेकिन ताला में स्थानीय प्रशासन की स्वीकृति पर ताला नदी के बहाव क्षेत्र में फिल्म की शूटिंग की जा रही है। शूटिंग की इजाजत देने के लिए प्रशासन ने हाइकोर्ट के आदेश भी दरकिनार कर दिए। शूटिंग के लिए बहाव क्षेत्र में दर्जनों तंबू लगे हुए हैं। रह-रहकर अलग-अलग तरीके से सेट भी बनाए जा रहे हैं। इस क्षेत्र तक पहुंचने के लिए बहाव क्षेत्र में कच्ची सडक़ भी बना दी गई है।
प्रशासन और जेडीए मौन : क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण और अनियमितताओं पर न तो स्थानीय प्रशासन कार्रवाई कर रहा है, न जयपुर विकास प्राधिकरण। दोनों के मौन का प्रभावशाली लोग जमकर फायदा उठा रहे हैं।
किस विभाग की क्या खामी
राजस्व विभाग
क्षेत्र में भू आवंटन के 225 मामले
गलत नामांतरण के 141 मामले

सिंचाई विभाग
वाटर शेड कार्यक्रम के तहत 342 जल संरचनाओं का निर्माण
पिछले 30 साल में सिंचाई, वन और पंचायत राज विभाग ने किए निर्माण
क्षेत्र में 24 बड़े व 50 छोटे एनिकट, 138 बड़े व 194 छोटे तालाब बनाए
वन विभाग
विभाग ने 695 अतिक्रमण पाए
क्षेत्र में 33 जगह पर अवैध खनन चिह्नित किए

खान विभाग
विभाग को क्षेत्र में कहीं भी अवैध खनन नहीं मिला
अचरोल, कालीघाटी और बुरहानपुर में स्वयं के उपयोग के लिए खनन
199 लीज खनन के लिए दीं

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