यह जानकारी डॉ.अंजनी कुमार शर्मा ने दी। उन्होंने कहा कि कुछ पुरानी भ्रांतियों की वजह से लोग उपचार नहीं ले पातें, जिससे उनकी हालत और अधिक बिगड जाती है। उन्होंने बताया कि मिर्गी लाइलाज नहीं है, रोगी कुछ सावधानियों एवं उचित उपचार से बिलकुल सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। मिर्गी के 70 प्रतिशत रोगियों को ठीक करके दवाओं को बंद किया जा सकता है। 30 प्रतिशत रोगियों को जीवनभर दवाएं जारी रखने या अन्य तकनीकों जैसे सर्जरी, न्यूरो स्टिमुलेशन आदि से ठीक किया जा सकता है।
न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. कपिल खण्डेलवाल ने बताया की मिर्गी आनुवांशिक गडबडी के कारण हो सकता है, लेकिन यह केवल 5 से 10 प्रतिशत एक मामूली अनुपात है। मिर्गी के 90 प्रतिशत से अधिक कारण आनुवंशिक नहीं होते हैं। सिर की चोट, स्ट्रोक, और बहुत से अन्य रोगों जैसे की तपेदिक, संक्रमण और आघात से उत्पन्न होते है। मस्तिष्क की किसी भी बीमारी के संक्रमित होने से मिर्गी हो सकती है।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पुष्कर गुप्ता ने बताया कि ‘सिरदर्द न्यूरोलॉजिकल संबंधी बीमारी में सबसे ज्यादा बीमारी है। सामान्य आबादी के 50 प्रतिशत लोगों को सिरदर्द किसी भी समय हो सकता है वहीं सामान्य आबादी का 3 प्रतिशत हिस्सा गंभीर सिरदर्द से पीडि़त हैं। माइग्रेन, तनाव, क्लस्टर सिरदर्द के मुख्य कारण है। सिरदर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यदि सिरदर्द गंभीर है तो डॉक्टर से परामर्श करें और जांच कराएं, जिससें सिरदर्द के कारण एवं प्रकार का पता कर उपचार किया जाए।
डॉ. दिलिप नागरवाल ने कहा कि कभी-कभी ज्यादा दिनों तक सिरदर्द संवेदक अंगों पर भी गलत प्रभाव डाल सकता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है। यह माइग्रेन, ट्यूमर या नर्वस सिस्टम से जुडी दूसरी बीमारी भी हो सकती है। इसलिए जागरुकता की जरूरत है, जिससे गंभीर बीमारी के रूप में परिवर्तीत होने से बचा जा सकें।