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जयपुर

अदालती और विभागिय आदेश के बाद भी नहीं दिया कर्मचारी को चयनित वेतनमान

प्रमुख चिकित्सा सचिव व निदेशक को अवमानना नोटिस
सरकार से पूछा गाइड लाइन की पालना में क्या कदम उठाए

जयपुरJul 04, 2020 / 09:12 pm

KAMLESH AGARWAL

Court

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जयपुर।

सेवानिवृत्त 81 साल के बहुउद्देशीय कार्यकर्ता को राजस्थान उच्च न्यायालय ने चयनित वेतनमान का लाभ देने के आदेश दिए। इसके विभाग ने अदालती आदेश की पालना में सेवालाभ देने के आदेश जारी कर दिए लेकिन इसके बाद भी अधिनस्थ अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने सेवाबुक नहीं मिलने का हवाला देते हुए आदेश की पालना नहीं की। इस पर अब राजस्थान उच्च न्यायालय ने प्रमुख चिकित्सा सचिव व निदेशक सहित अन्य अफसरों को अवमानना नाेटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ब्रजनंदन शर्मा के अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि न्यायालय ने कर्मचारी की याचिका पर चयनित वेतनमान संबंधी विसंगति को दूर करते हुए पुनरीक्षित पेंशन और सेवा परिलाभ देने का निर्देश दिया था। जिस पर अक्टूबर 2017 में चिकित्सा विभाग ने उसके सेवा परिलाभ देने का आदेश भी जारी कर दिया। लेकिन विभाग के अधीनस्थ अफसरों ने प्रार्थी की सर्विस बुक नहीं मिलने का हवाला देकर उसे सेवा परिलाभ नहीं दिए। जबकि सर्विस बुक की जिम्मेदारी विभाग की होती है। इस पर दायर अवमानना याचिका पर अदालत ने जवाब मांगा है।
सरकार से पूछा गाइड लाइन की पालना में क्या कदम उठाए

विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में सफाई कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए राज्य सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। इसके बारे में राजस्थान उच्च न्याालय ने राज्य सरकार से शपथ पत्र के साथ जानकारी मांगी है। अदालत ने केन्द्र और राज्य सरकार को याचिका में उठाए बिन्दुओं पर अपना जवाब भी पेश करने को कहा है। मुकुल चौधरी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देशभर में करीब पांच करोड सफाई कर्मचारी हैं। वहीं बडी संख्या में प्रदेश में भी सफाईकर्मी हैं, जो कोरोना संक्रमण के दौरान सफाई और सेनेटाइजेशन का काम कर रहे हैं। इसके बावजूद इन लोगों को खुद के जीवन की रक्षा के लिए पीपीई किट और मास्क सहित अन्य सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जा रहे हैं। जबकि केन्द्र सरकार व डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार इन कर्मचारियों को भी पीपीई किट सहित अन्य सुरक्षा सामग्री दी जानी चाहिए। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट भी गत दिनों सरकार को दिशा-निर्देश दे चुका है। जिस पर मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहान्ती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने शपथ पत्र के साथ राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

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