पिछले दो महीने से देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे थे। इसलिए कच्चा तेल महंगा होने के बावजूद पेट्रोल और डीजल के भाव में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी। हालांकि कच्चा तेल बीच में सस्ता भी हुआ था, लेकिन तब पेट्रोल-डीजल के भाव चार से पांच किस्तों में घटाए गए थे। इससे पेट्रोल 95 पैसे सस्ता हुआ था, लेकिन पिछले कुछ दिनों में अब यह 1.56 पैसे महंगा हो गया है। इसी तरह, डीजल के दामों में 4 बार में जो 78 पैसे की कमी की गई थी, लेकिन चुनाव खत्म होते ही यह 1.60 रुपए महंगा हो गया है।
नौकरीपेशा की बचत में सेंध
कोरोना महामारी के बीच अनलॉक के साथ-साथ कई शहरों में आंशिक रूप या सीमित मैनपावर के साथ दफ्तर चल रहे हैं। नौकरीपेशा लोगों की आवाजाही दफ्तर तक हो रही है। महामारी में बाइक/स्कूटर की जगह अब अपनी कार से दफ्तर जाने वाले लोगों के खर्चों पर महंगे पेट्रोल-डीजल का असर साफ दिखाई देने लगा है। यह खर्चा तकरीबन 10 फीसदी बढ़ चुका है। अब इसका असर तो निश्चित तौर पर लोगों की बचत पर ही पड़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, यदि किसी नौकरीपेशा का महीने का पेट्रोल खर्च कुछ महीनोंं पहले 10,000 रुपए था, तो अब यह बढ़कर करीब 11,000 रुपए हो गया है
डीजल की बढ़ती कीमतों का असर माल भाड़े पर दिखने लगा है। सामान्य स्थिति में भाड़े में दस फीसदी की बढ़ोतरी दिख रही है। सरिया, तेल, दाल, सब्जी सहित सभी वस्तुओं की कीमतों पर माल भाड़े का अप्रत्यक्ष असर दिखने लगा है।
सरकार ने राहत देने से किया इनकार
पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय ने धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्स में कोई कटौती नहीं करेगी। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि सरकार के पास पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला टैक्स को घटाने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाना या कम करना सरकार की जरूरतों और बाजार की स्थिति जैसे कई पहलुओं पर निर्भर करता है।