समझा गुरुतेग बहादुर की शिक्षाओं का महत्व
‘जीवन मुक्ति: जो सुख को चाहे सदा पर टॉक शो
समझा गुरुतेग बहादुर की शिक्षाओं का महत्व
जयपुर, 2 मई
गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती के अवसर पर रविवार को जेकेके के फेसबुक पेज पर ‘जीवन मुक्ति: जो सुख को चाहे सदा,आज के परिप्रेक्ष्य में गुरु तेग बहादुर का संदेश’ विषय पर टॉक और प्रजेंटेशन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कला एवं संस्कृति विभाग और जवाहर कला केंद्रने मिलकर किया वक्ताओं में रूपिंदर सिंह आईपीएस और डॉ. हरप्रीत कौर शामिल थीं। उन्होंने कला संस्कृति एवं साहित्य विभाग की सचिव और महानिदेशकए जेकेके मुग्धा सिन्हा के साथ चर्चा की। यह चर्चा गुरु तेग बहादुर के जीवन, उनकी शिक्षाओं,आज के समय में इसकी प्रासंगिकता और जीवन मुक्ति पर केंद्रित थी।
वर्तमान में चल रही कोविड महामारी के संकट पर बात करते हुए रूपिंदर सिंह ने कहा कि इस कठिन समय में भगवान ही हमारा एकमात्र सहारा है। इस समय सकारात्मक नजरिया रखने की आवश्यकता है और यह समझना चाहिए कि किसी भी दुख, त्रासदी या विप्पति के दौरान हमें प्रभु पर भरोसा बनाए रखना चाहिए। जीवन मुक्ति की अवधारणा के बारे में समझाते हुए,उन्होंने कहा कि एकमात्र सदेह मुक्ति ही है जिसका कोई अर्थ है, क्योंकि मृत्यु के बाद की मुक्ति का कोई मूल्य नहीं है क्योंकि कोई इसे मुक्ति के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकता है। इस मामले में मुक्ति का तात्पर्य आत्मा के बंधनों से मुक्ति है । जो जीवन मुक्ति को प्राप्त कर लेता है, वो ब्रह्म ज्ञानी के रूप में जाना जाता है। वे आत्मा के बंधनों से पूर्ण मुक्ति प्राप्त कर लेते हैं।
इससे पहले, गुरु तेग बहादुर का संक्षिप्त जीवन विवरण देते हुए डॉ. हरप्रीत कौर ने कहा कि गुरु तेग बहादुर को यह नाम इसलिए मिला क्योंकि वे तलवार चलाने में माहिर थे। उन्होंने बड़े पैमाने पर भारत के पूर्वी और उत्तर पूर्वी राज्यों की यात्रा की। उनकी यात्रा के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य शांतिपूर्ण तरीके से साथ जीवन जीने का संदेश फैलाना था। उन्होंने आगे कहा कि खुशी का रहस्य भौतिक संपत्ति से मुक्त होना और प्रभु के शरण स्थान की तलाश करना है, क्योंकि भगवान ही शांति प्रदान करते हैं। एक खुशहाल आदमी वह है जो प्रभु के नाम के गुणगान गाता है।
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