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राजस्थान के इन प्रसिद्ध मंदिरों में मां की साधना करने से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं

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जयपुरJul 12, 2018 / 12:38 pm

rajesh walia

rajasthan temple
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रजवाड़ी शानो शौकत, शौर्य पराक्रम के लिए पहचाना जाने वाला राजस्थान किलों, महलों के अलावा यहां के खूबसूरत और प्रसिद्ध मन्दिरों के लिए भी जाना जाता है। जिनके दर्शन करने के लिए दूर- दूर से श्रद्धालुओं की यहां लंबी कतारे लगती है। राजस्थान में बहुत से ऐसे अनोखे मंदिर है जिनके दर्शन से लोगों की सभी दुःख- दर्द दूर हो जाते है।
वैसे तो राजस्थान में कई मंदिर है, जिनको लेकर लोगों की अलग- अलग मान्यता है। लेकिन आज हम आपको गुप्त नवरात्रि पर राजस्थान के प्रमुख देवी की मंदिरों के बारे में बताने जा रहे है। बता दें कि यहां नवरात्रों में आयोजित मेलों में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते है।
राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलो मीटर दूर देशनोक में स्तिथ करणी माता का मंदिर जिसे चूहों वाली माता, चूहों वाला मंदिर और मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो हमें गलती से भी घर में चूहा दिख जाएं तो हम इधर से उधर भागने लगते है। लेकिन माता के इस मंदिर में चूहों की होती है पूजा। इस मंदिर में चूहों के अलावा, संगमरमर के मुख्य द्वार पर की गई उत्कृष्ट कारीगरी, मुख्य द्वार पर लगे चांदी के बड़े बड़े किवाड़, माता के सोने के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए रखी चांदी की बहुत बड़ी परात भी मुख्य आकर्षण है। लोगों का कहना है की मंदिर में अगर सफेद चूहे का दिखना बहुत शुभ माना जाता है।

राजस्थान के करौली जिले में स्थित कैला मैया की दर्शन के लिए दूर- दूर से श्रद्धालु यहां आते है। श्रद्धालुओं की टोलियों के जाने का दौर शुरू हो चूका है। चैत्र और अश्विनी मास के नवरात्रों में यहां लक्खी मेले आयोजित होते हैं। इस मंदिर का निर्माण 1600 ईस्वी में राजा भोमपाल सिंह ने करवाया था। लोगों की मान्यता है की भगवान कृष्ण की बहन योगमाया जिसका वध कंस करना चाहता था, वे ही कैला देवी हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु माता को प्रसन्न करने के लिये लांगुरिया के भजन गाते हैं।
राजस्थान के मां त्रिपुरा सुंदरी दुख हरनी, सुख दायिनी एेसे ही अनेकों नामों ने जानी जाती हैं। सैकड़ों वर्षों से बांसवाड़ा जिले के उमराई में स्थित मां त्रिपुरा का मंदिर किसी परिचय का मोहताज नहीं है। माता के हर हाथ में कोई न कोई अस्त्र है। मुख्य प्रतिमा के साथ नवदुर्गा और चौसठ योगिनियों की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। लोगों का कहना है की ये मंदिर बहुत ही पूरानी है और ये मंदिर कनिष्क के शासन काल से पहले का है।

जीण माता राजस्थान के सीकर जिले में स्थित एक गांव का नाम है। सीकर से जीण माता गांव 29 किमी दूर है। यहीं पर प्राचीन जीण माता मंदिर है। माता रानी का ये मंदिर हजाराें साल पुराना बताया जाता है। नवरात्र में यहां जीणमाता के दर्शन करने के लिए लाखाें भक्त आते हैं। माना जाता है कि माता दुर्गा की अवतार है। जीण माता शेखावाटी के यादव, पंडित, राजपूत, अग्रवाल, जांगिड़ आैर मीणा जाति के लाेगाें की कुलदेवी हैं। बड़ी संख्या में जीणमाता के अनुयायी काेलकाता में भी रहते हैं जाे कि माता रानी के दर्शन के लिए आते रहते हैं।

जीण माता के मंदिर में बच्चाें के जड़ूले कराने के लिए भी भारी तादाद में भक्तगण आते हैं।लाेक मान्यता के अनुसार, मुगल सम्राट औरंगजेब ने जीण माता आैर भैराे जी के मंदिर काे तोड़ना चाहता था। लेकिन उसके मंसूबे पूरे नहीं हाे सके। आैरंगजेब ने मंदिर को तोड़ने के लिए अपने सैनिकों को भेजा। इस बात का पता चलने पर स्थानीय लाेग जीणमाता से प्रार्थना करने लगे।

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